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________________ १२ श्री नवकार महामंत्र - कल्प प्रकार से भिन्न भिन्न बताया है, और बतानेका हेतु स्पष्ट है कि इसकी आराधना करनेवाला गुरु अक्षर, लघु अक्षर, संयुक्ताक्षर, पदच्छेद, आदिसे क्रमसर ध्यान स्मरण करे तो मंत्री शक्ति प्रगट होती है, और शुद्धता पूर्वक वोलनेसे तत्काल सिद्धि होती है यही पूर्वाचार्योंकी भावनाऐं होना चाहिए । आज समाज में देखिए तो इस प्रकारसे शुद्ध बोलने वाले बहुत कम नजर आयेंगे तो फिर सिद्धिकी आशा किस प्रकार की जावे । हरएक सूत्र, मंत्र, स्तोत्रका अर्थ समझे बिना महत्त्वता जाननेमें नही आती और महत्त्वता जानने में आ जाती है तो मनोभाव भी एक तानमें लयलीन हो जाते हैं । शुद्ध वोलने में कइ प्रकारकी सिद्धियां समाई हुई हैं । जो मनुष्य इसके आनन्दको पा चुका है वही इसके महत्त्वको भी समझ सकता है, और जो मनुष्य अशुद्ध बोलनेके आदी हैं वह शुद्ध बोलने जांय तो भूल जाते हैं या थोडी देरके उच्चारण बाद ही फिर उसी लाइन पर आ जाते हैं ऐसे पुरुषों को समझाने के लिए, बोलनेमें जो आठ प्रकारके दोषका त्याग करना बताया है जिनका कुछ वर्णन इस प्रकार है ।
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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