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________________ मंत्रमदिमा प्रकरण चातें इस प्रकरण में मोजूद है, इस रिये यह मत्र जैन धर्मानुयायीयों के लिए सर्वमान्य महामगलकारी है। और दूसरे जो अनेक जातिके मत्र हैं जिनका अषिष्टाता एक देव होता है, लेकिन इस मत्रके अधिसाता नही देय दो सेवक रपमें काम करते हैं और जो पुरुप इसका ध्यान करता है उसकी मनोकामना देव पूरी करते है अस्तु । नवपद प्रकरण श्री नकार महामत्रके नव पद हैं, इनकी स्यापनासे सिद्धचक्र वनवा है। श्रीपालजी महाराजने इनही नचपदकी आराधनाकी यी जिससे कोड (कृष्ट) रोग चला गया था, मुदर्शन सेठका मरणान्त कष्ट निवारण करनेमें च शूली की जगह सिंहासन बनानेमें यही मत्र सहायक था। कचे मृतसे बंधी हुई चालपीसे कुवेमें से पानी निकारनेमें इसी मनसा चमत्कार या। चम्पानगरीके दरवाजे सोरनेमें भी इसी मत्रका मभाव या इस तरहसे इस मनी महिमाफा वर्णन शामेिं कई प्रकारसे पूर्वाचार्योने दिया है और नवपद आराधनमे यहा तक पताया है कि,
SR No.009486
Book TitleNavkar Mahamantra Kalp
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanmal Nagori
PublisherChandanmal Nagori
Publication Year1942
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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