SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 410
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गाथा - १०७ ४१० बीच में कोई नहीं। उलटा-सीधा रास्ता नहीं, सीधी सड़क है। कुछ नहीं, सीधी सड़क है । हमें तो बहुत रास्ता पूछना पड़ता न ? जब बाहर निकलते तब । अठारह हजार मील घूमे थे न जब ? तब बहुत पूछना पड़ता था (संवत्) २०२० की साल में मोहनभाई पूछे - यह सड़क कहाँ गयी ? सीधी (जाती है)। बीच में (कुछ) आयेगा ? नहीं, सीधी (जाती है) । आगे जाने पर दो मील दूर एक मार्ग इस ओर से निकलेगा, उसे छोड़ देना - ऐसा कहे । बाकी सीधी चली जाएगी। तुम थे या नहीं, कितनी ही बार ? ये भी उसमें थे । कहो, समझ में आया ? T जिस पर चलकर वहाँ पहुँचा जा सकता है, सिद्धपद न तो किसी की भक्ति से मिल सकता है..... यह परमात्मा साक्षात् विराजमान है, उनकी भक्ति से कहीं मुक्ति नहीं है। बीच में यह शुभभाव आये बिना रहता नहीं । वीतराग नहीं हुआ, तब तक पूर्णानन्द के आश्रय की परिणति होने पर भी... ऐसा भक्ति का शुभभाव आता है परन्तु वह सड़क नहीं है। वह बीच में ऐसा भाव अशुभ से बचने के लिए... ऐसा कहा जाता है। वास्तव में तो उस काल में वह शुभ (भाव) आये बिना नहीं रहता । वस्तुस्थिति ऐसी है । समझ में आया ? लो ! भगवान... सिद्धपद न तो किसी की भक्ति से मिल सकता है या न बाह्य तप, जप, और चारित्र से मिल सकता है। बाहर का तप उपवास आदि या जप भगवान... भगवान... (करना) या व्यवहार पंच महाव्रत के परिणाम आदि, उनसे मुक्ति नहीं मिल सकती है। वह तो केवल अपने ही आत्मा के यथार्थ अनुभव से प्राप्त हो सकती है। ठीक लिखा है। समझ में आया ? फिर वह द्रव्य गुणों का समुदाय है - ऐसा लिखा है । द्रव्य है वह गुण का समुदाय है। गुणों में जो परिणमन होता है, गुणों में जो परिणमन होता है, उसे ही पर्याय कहते हैं। समझ में आया ? १५ वीं गाथा में नहीं आया ? अपने पण्डितजी थे तब । ज्येष्ठ महीना ... पंचास्तिकाय ! भावस्य णत्थि णासो णत्थि अभावस्य चेव उप्पादो। गुज भावा उप्पादवए पकुव्वंति ॥ १५ ॥ यह चर्चा अपने ज्येष्ठ महीने में बहुत चली थी । २०१३ की साल, ज्येष्ठ महीना । - -
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy