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________________ योगसार प्रवचन (भाग-२) २३३ सहू जग देखता, निजसत्ता ए शुद्ध सोने पेखता... सम्पूर्ण द्रव्य को आत्मा को भगवान शुद्ध ही देखते हैं, परन्तु वे देखते हैं। तेरे देखने (जानने) में आये बिना तुझे शुद्ध कहाँ से आया? ऐसा कहते हैं । आहा...हा...! है ? मुमुक्षु : ....... उत्तर : नहीं, सबको देखते हैं परन्तु आत्मा को शुद्ध देखते हैं – ऐसा कहते हैं। भगवान, आत्मा को शुद्ध देखते हैं। वे तो देखते हैं, परन्तु वे तो पर हैं, यह आत्मा नहीं। समझ में आया? केवलज्ञानी आत्मा को कैसा देखते हैं ? समस्त आत्माओं को... आत्मा को देखते हैं तो आत्मा क्या है? आत्मा शुद्ध है। राग को देखते हैं तो आस्रवतत्त्व को देखते हैं। कर्म, शरीर को देखते हैं तो अजीवतत्त्व को देखते हैं। आत्मा क्या? तुम्हारे में ऐसा आत्मा देखा है, भगवान समस्त आत्माओं को शुद्ध ही देखते हैं। राग को देखते हैं, वह आत्मा नहीं है – ऐसा देखते हैं। उसे तो अनात्मारूप से भगवान देखते हैं । आहा...हा...! समझ में आया? ___ एक समय की पर्याय देखते हैं, रागादि की एक-एक समय की पर्याय (देखते हैं), जड़ की पर्याय एक-एक समय की (देखते हैं)। तीन काल-तीन लोक के अविभाग प्रतिच्छेद एक-एक भिन्न-भिन्नरूप से देखते हैं परन्तु आत्मा देखते हैं, इसका अर्थ क्या? आत्मा किसे कहते हैं? क्या पुण्य-पाप को आत्मा कहना? सात तत्त्व में यह तत्त्व तो भिन्न है। सात तत्त्व है या नहीं? तो शरीर, वाणी, कर्म, अजीवतत्त्व में आये? पुण्य-पाप तत्त्व, आस्रवतत्त्व में आये। तो आत्मा क्या है ? __ आत्मतत्त्व में आस्रवतत्त्व का अभाव है, आस्रवतत्त्व में आत्मा का अभाव है, अजीव में आस्रव का अभाव है, इसमें तो बहुत बड़ी बात है। कर्म के उदय से आस्रव होता है – ऐसा कहो तो कर्म का उदय अजीव पर्याय है। अजीव पर्याय है तो आस्रवतत्त्व (और अजीव तत्त्व) दो एक हो जाते हैं। अजीव, अजीवरूप से भगवान देखते हैं और आस्रव को आस्रवरूप से देखते हैं। इस कारण से आस्रव और आस्रव के कारण से अजीव है - ऐसा नहीं है और आस्रव है तो आत्मा है तथा आत्मा है तो आस्रव है - ऐसा नहीं है। समझ में आया? यह तो सर्वज्ञ परमेश्वर वीतरागमार्ग अर्थात् चारों ओर से वस्तु को देखो तो सत्य
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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