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________________ २१६ गाथा-८९ फिर लेते हैं। व्यवहार धर्म और क्रिया का पालन छठवें गुणस्थान में होता है, आहार-विहार, निद्रा... देखो! ये कार्य छठवें गुणस्थान में होते हैं। प्रमादभाव है तब (होते हैं), यह तो प्रमादभाव है। है? मुमुक्षु : यह तो कुन्दकुन्दाचार्यदेव ने पालन किये थे। उत्तर : पालन कहाँ किये थे, आये थे; होते हैं, पालते हैं उसकी बात करते हैं। कुन्दकुन्दाचार्यदेव ने भी पंच महाव्रत पालन किये थे, तुम कहते हो कि पंच महाव्रत आस्रव है। भगवान! आस्रव है तो आये बिना नहीं रहता, यह दूसरी बात है परन्तु उसका आदर है? अन्दर में वह उसे चारित्र मानते हैं ? पंच महाव्रत तो आस्रव में आते हैं। तत्त्वार्थसूत्र में पंच महाव्रत, अणुव्रत को आस्रव में लिया है। मुमुक्षु : 'धवल' के आधार से संवर है। उत्तर : धवल के आधार से संवर किया ही नहीं। धवल दूसरा कहता है ? यह जयधवल में आया है न? पण्डितजी ! यह शुद्ध और शुभ के बिना निर्जरा नहीं होती – ऐसा पाठ है परन्तु वह तो निमित्त का कथन है। शुद्ध से निर्जरा है, वहाँ शुभ निमित्त को निर्जरा में गिन लिया है। जैसे, निमित्त के कथन में दो मोक्षमार्ग है, परन्तु वास्तविक मोक्षमार्ग एक ही है। इसी तरह निर्जरा में दो गिन लिए हैं, (वरना) निर्जरा एक ही है। कथन में दो प्रकार चले हैं । आहा...हा... ! समझ में आया? अब यह पण्डित-वण्डित इकट्ठे होकर... यह वंशीधरजी बडे पण्डित हैं, सबको इकट्ठे करके कुछ करो, तुम बड़े पण्डित हो, तुम्हारी बहुत प्रसिद्धि है । ७५ पण्डितों को इन्होंने पढ़ाया है। अरे... ! भगवान ! ऐसा समय मिला, उसमें क्या झगड़ा करना। सत्य है उसका स्वीकार करो, भाई! झगड़ा छोड़ दो। यह बेचारा कहता है, हाँ! सागरवाले मुन्नालाल... दो मिनिट का काम है, यह क्या झगड़ा उठाया है ? एक बार पण्डितजी को कहा था, समाचार पत्र में आया था, हाँ! निश्चय, व्यवहार, उपादान, निमित्त और क्रमबद्ध पाँच बोल हैं, दो मिनिट का काम है। इतने-इतने पैसे, हजारों पैसे, जयपुर की बड़ी चर्चा उसका पुस्तक छपेगा। दस हजार से ज्यादा तो पैसा चाहिए, वह तो वे नहीं देंगे, यह देंगे पूनमचन्दजी। अरे...! भगवान यह चीज है ? इतनी चर्चा हुई तो बाहर आने में क्या आपत्ति
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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