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________________ १६० गाथा - ८५ तो अनन्त-अनन्त है। वे अनन्त - अनन्त गुण असंख्य प्रदेश में व्यापक है । आकाश प्रदेश अमाप है, उसका कोई माप है ? आकाश का कहीं अन्त आया ? बाद में... बाद में... बाद में... बाद में... बाद में... ( क्या ) ? नास्तिक को भी तर्क से कहना पड़ेगा कि आकाश है, उसमें चले जाओ तो उसका अन्त कहाँ ? अन्त होवे तो बाद में क्या ? ऐसा आकाश के क्षेत्र का, प्रदेश का भी अचिन्त्य स्वभाव है, अनन्त स्वभाव है, अमाप क्षेत्र है। ऐसे आकाश के अमाप अनन्त प्रदेश से एक भगवान आत्मा के अनन्त गुण हैं । ओहो...हो... ! उन अनन्त गुणों का एकरूप भगवान आत्मा है। उसे अन्दर में से विश्वास आना चाहिए न! ऐसे का ऐसे कल्पना से, क्षयोपशम से धारणा कर ले वह बात नहीं है। समझ में आया ? अन्तर में उस भगवान आत्मा में इतने अनन्तानन्त... अनन्तानन्त गुण व्यापक हैं । भगवान आत्मा ऐसे एक रूप का अनुभव करने से, उस पर दृष्टि देने से, उसको ज्ञेय बनाने से, चारित्र में उसको आश्रय बनाने से, चारित्र में उसे आश्रय बनाने से अनन्त गुण की पर्याय (एक) समय में प्रगट होती है। समझ में आया ? वही कहते हैं, देखो! एक आत्मा का ग्रहण हो गया, वहाँ आत्मा के सर्व गुणों का ग्रहण हो गया... कल वहाँ आया था, भाई ! दूसरा पैराग्राफ का अर्थ किया था । आहा...हा... ! जहाँ विकल्प को अवकाश नहीं... वे अनन्तानन्त गुण जो स्वभावस्वरूप, आकाश का स्वभाव... स्वभाव... स्वभाव, वहाँ तर्क और विकल्प क्या काम करेंगे ? जिस ज्ञान में अमाप आकाश की प्रतीति हुई कि अमाप ... अमाप ... अमाप - ऐसे आकाश की संख्या से अनन्तगुने अमाप ... अमाप ... कोई माप नहीं । ओहो...हो... ! ऐसा भाव समुदाय एक आत्मा, गुण समुदाय आत्मा... भाव समुदाय कहो या गुण समुदाय कहो, उसकी अन्तर रुचि करके अपने में वह वस्तु पोषाण में (आवे) । पोषाण को क्या कहते हैं हिन्दी में? पोषाण, पोषाण समझ में आया ? व्यापारी को यह माल पोषाता है न ? पोषाता है । यह अन्दर में पोषाण होना चाहिए... व्यापारी पाँच रुपये मन लाये, उसके छह रुपये पैदा हों तो माल लेगा न ? पोषाता होगा तो माल लेगा या बिना पोषाये माल लेगा ? पाँच रुपये मण ले और साढ़े चार में बिके (वह लेगा ) ?
SR No.009482
Book TitleYogsara Pravachan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages420
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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