SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 493
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगसार ग्रन्थ में कुल १०८ गाथाएँ हैं और उन पर पूज्य गुरुदेवश्री के ४५ प्रवचन हुए हैं। योगसार प्रवचन भाग-१ में २४ प्रवचन अवतरित किये गये हैं। जिनमें गाथा १ से ६८ तक का समावेश होता है। शेष २१ प्रवचन योगसार प्रवचन, भाग-२ में प्रकाशित किये गये हैं। पूज्य गुरुदेवश्री की मूल वाणी तथा भाव यथावत् प्रकाशित रहे तदर्थ सी.डी. में से अक्षरश: उतारकर, जहाँ आवश्यकता लगी वहाँ कोष्ठक भरकर वाक्य रचना पूर्ण की गयी है। जहाँ स्पष्टरूप से सुनाई नहीं दिया वहाँ डॉट (.....) करके रिक्त स्थान छोड़ा गया है। प्रवचनों का सम्पादन कार्य पूर्ण होने के बाद प्रवचनों को सी.डी. के साथ मिलाने का कार्य चेतनभाई मेहता, राजकोट द्वारा किया गया है। इन प्रवचनों का हिन्दीभाषी मुमुक्षु समाज भी अधिक से अधिक लाभ ले तथा पूज्य गुरुदेवश्री के सी.डी. प्रवचन सुनते समय इस प्रकाशन का उपयोग कर सके। इस भावना से इस प्रवचन ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद एवं सी.डी. से मिलान करने का कार्य पण्डित देवेन्द्रकुमार जैन, बिजौलियां द्वारा किया गया है। तदर्थ संस्था आपका सहृदय आभार व्यक्त करती है। प्रस्तुत प्रवचन ग्रन्थ के टाईप सेटिंग के लिए श्री विवेककुमार पाल, विवेक कम्प्यूटर्स, अलीगढ़ तथा ग्रन्थ के सुन्दर मुद्रण कार्य के लिए श्री दिनेश जैन, देशना कम्प्यूटर्स, जयपुर के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। अन्ततः योगसार अर्थात् निजस्वरूप के साथ जुडान करना, उसका सार। ऐसे नवनीत समान, भव्य जीवों के लिए प्रकाशस्तम्भ समान, प्रस्तुत प्रवचनों का मुमुक्षुजीव रसास्वादन करके भवसागर से पार हो जायें - इसी भावना के साथ..... निवेदक ट्रस्टीगण, श्री कुन्दकुन्द-कहान पारमार्थिक ट्रस्ट, मुम्बई
SR No.009481
Book TitleYogsara Pravachan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year2010
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy