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________________ तीर्थंकर भगवान महावीर भगवान महावीर का जीवन अब पुराणों की गाथा मात्र नहीं रहा, उन्हें अब इतिहासकारों ने ऐतिहासिक महापुरुष के रूप में स्वीकार कर लिया है । महात्मा गांधी ने उन्हें "अहिंसा के अवतार" के रूप में याद किया है। जैन मान्यतानुसार भगवान अनन्त होते हैं। प्रत्येक आत्मा भगवान बन सकता है, पर तीर्थंकर एक युग में व एक क्षेत्र में चौबीस ही होते हैं। प्रत्येक तीर्थंकर,भगवान तो नियम से होते हैं; पर प्रत्येक भगवान, तीर्थंकर नहीं । तीर्थंकर हुए बिना भी भगवान हो सकते हैं। जिससे संसार-सागर तिरा जाय उसे तीर्थ कहते हैं और जो ऐसे तीर्थ को करे अर्थात् संसार-सागर से पार उतरने का मार्ग बतावे, उसे तीर्थंकर कहते हैं। तीर्थंकर भगवान महावीर भरतक्षेत्र व इस युग के चौबीसवें एवं अन्तिम तीर्थंकर थे। उनसे पूर्व ऋषभदेव आदि २३ तीर्थंकर और हो चुके थे। वे जैनधर्म के संस्थापक नहीं, वरन् एक प्रबल प्रचारक थे। जैनधर्म कोई मत या सम्प्रदाय नहीं है, वह तो वस्तु का स्वरूप है; वह एक तथ्य है, परम सत्य है। उस परम सत्य को प्राप्त कर नर से नारायण बना जा सकता है। ___भगवान महावीर का जीवन अहिंसा के आधार पर मानव जीवन के चरम विकास की कहानी है। क्षत्रिय राजकुमार होने पर भी उन्होंने कभी विश्व-विजय के स्वप्न नहीं देखे। बाहरी
SR No.009479
Book TitleTirthankar Bhagawan Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2003
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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