SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 160
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 351 गाथा १५५ को शुद्धात्मा से भिन्न अवलोकन करना अर्थात् उन पदार्थों से भिन्न अपने आत्मा का अवलोकन करना निश्चय सम्यक्त्व है, भिन्न जानना निश्चय सम्यग्ज्ञान है और इन दोनों पूर्वक रागादि विकल्पों से रहित होकर निज शुद्धात्मा में रहना निश्चय सम्यक्चारित्र है और यही निश्चय मोक्षमार्ग है।" आचार्य जयसेन की उक्त टीका पर समयसार गाथा १३ एवं आचार्य अमृतचन्द्र के पुरुषार्थसिद्धयुपाय नामक ग्रन्थ में समागत सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की परिभाषाओं की छाया विद्यमान है। लगता है आचार्य जयसेन ने उन्हीं के भाव को यहाँ प्रस्तुत कर दिया है। पुरुषार्थसिद्धयुपाय में समागत वे परिभाषायें इसप्रकार हैं - जीवाजीवादीनां तत्त्वार्थानां सदैव कर्त्तव्यम् । श्रद्धानं विपरीताभिनिवेश विविक्तमात्मरूपं तत् ॥ २२॥ कर्तव्योऽध्यवसायः सदनेकान्तात्मकेषु तत्त्वेषु । संशयविपर्यायानध्यवसायविविक्तमात्मरूपं तत् ॥ ३५॥ चारित्रं भवति यतः समस्तसावद्ययोगपरिहरणात् । सकलकषायविमुक्तं विशदमुदासीनमात्मरूपं तत् ॥ ३९॥ जीवाजीवादि तत्त्वार्थों का विपरीताभिनिवेश से रहित श्रद्धान सदा ही करना चाहिए; क्योंकि वह आत्मा का स्वरूप है। अनेकान्तस्वरूप तत्त्वों का संशय, विपर्यय और अनध्यवसाय रहित निर्णय करने का अध्यवसाय (प्रयास) अवश्य करना चाहिए; क्योंकि वह सम्यग्ज्ञान है और आत्मा का निजरूप है। ___ समस्त सावध के त्याग से होनेवाला, सम्पूर्ण कषायों से रहित, परपदार्थों से उदासीन, निर्मल चारित्र आत्मस्वरूप होता है। __ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र की परिभाषा बताने वाले उक्त तीनों छन्द का अन्तिम पद 'आत्मरूपं तत्' है, जो यह बताता है कि ये तीनों आत्मरूप हैं, आत्मा के स्वरूप ही हैं। ' इनकी आत्मरूपता इनके निश्चयस्वरूप को बताती है और शेष विशेषण इनके व्यवहाररूप को बताने वाले हैं। इसप्रकार इन परिभाषाओं में निश्चय और व्यवहार दोनों प्रकार की परिभाषायें आ जाती हैं।
SR No.009472
Book TitleSamaysara Anushilan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1996
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy