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________________ प्रतिष्ठा पूजाञ्जलि n श्री शान्तिनाथ प्रभु की पजा रचाऊँ. । सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ।। ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय मोक्षफलप्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा। अविचल अनर्घ्य प्रभुतामय रूप जाना, विलसे अनर्घ्य आनन्द हो आत्मध्याना। श्री शान्तिनाथ प्रभु की पूजा रचाऊँ, सुख शान्ति सहज स्वामी निज माँहि पाऊँ ।। ॐ ह्रीं श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। पंचकल्याणक (दोहा) भादौं कृष्णा सप्तमी, तजि सर्वार्थ विमान । ऐरा माँ के गर्भ में, आए श्री भगवान ।। ॐ ह्रीं श्रीभादवकृष्णासप्तम्यां गर्भमंगलमण्डिताय श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। कृष्णा जेठ चतुर्दशी, गजपुर जन्मे ईश। करि अभिषेक सुमेरु पर, इन्द्र झुकावें शीश ।। ॐ ह्रीं ज्येष्ठ कृष्णाचतुर्दश्यांजन्ममंगलमण्डिताय श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।। सारभूत निर्ग्रन्थ पद, जगत असार विचार। कृष्णा जेठ चतुर्दशी, दीक्षा ली हितकार ।। ॐ ह्रीं श्रीज्येष्ठकृष्णाचतुर्दश्यां जन्ममंगलमण्डिताय श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा। आत्मध्यान में नशि गये, घातिकर्म दुखदान । पौष शुक्ल दशमी दिना, प्रगटो केवलज्ञान ।। ॐ ह्रीं श्रीपौषशुक्लादशम्यां ज्ञानमंगलमण्डिताय श्री शान्तिनाथजिनेन्द्राय अनर्घ्यपदप्राप्तये अर्घ्य निर्वपामीति स्वाहा।
SR No.009468
Book TitlePratishtha Pujanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbhaykumar Shastri
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year2012
Total Pages240
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size1 MB
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