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________________ 72 पंचकत्या ठा महोत्सव वाणी उनकी समझ में भी आ जाती है। आज के व - कार की व्यवस्था देश-विदेश की अनेक लोकसभाओं गई है। न्द्र जैसे साधनसम्पन्न एवं वैज्ञानिक प्रज्ञा के धनी व्यवि लिए इसप्रकार की सातिशय व्यवस्था असंभव नहीं लगती। ___ हँसने और रोने की भाषा भी एकाक्षरी ही होती है और उसे प्रत्येक भाषाभाषी आसानी से समझ लेता है। कोई भी बालक माँ के पेट से किसी भाषा को सीखकर नहीं आता, पर वह अपनी ध्वनि के माध्यम से अपनी बात सब तक पहुँचाता ही है। जब नग्न दिगम्बर बालक की बात को समझने में भाषा की समस्या नहीं आती तो नग्न दिगम्बर वीतरागी परमात्मा की एकाक्षरी बात भी जन-जन तक सहज भाव से पहुँच जावे तो कौनसी आश्चर्य की बात है ? इसप्रकार भगवान ऋषभदेव की धर्मसभा की रचना और उनकी दिव्यध्वनि की चर्चा संक्षेप में की, अब उनकी दिव्यध्वनि में समागत वस्तुस्वरूप पर विचार अपेक्षित है। ___ आचार्य पूज्यपाद ने 'सर्वार्थसिद्धि' नामक ग्रन्थ में पंचकल्याणक दर्शन । को सम्यग्दर्शन का निमित्त कहा है। इस सन्दर्भ में विचार करने की बात यह है कि पंचकल्याण का ऐसा कौनसा अंग है कि जो सम्यग्दर्शन का साक्षात् निमित्त बनता है ? सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के पूर्व अनिवार्य रूप से होने वाली पाँच लब्धियाँ कही हैं। उनमें एक देशनालब्धि भी है। तीर्थंकर भगवान की देशना ही सम्यग्दर्शन का उत्कृष्ट निमित्त है। अतः पंचकल्याणक का यह देशना वाला प्रकरण ही सम्यग्दर्शन का मूलभूत निमित्त है। इसी के कारण सम्पूर्ण पंचकल्याणक के दर्शन को सम्यग्दर्शन का निमित्त कहा जाता है। समोसरण में भी तो जो बाग-बगीचे हैं, नृत्यशालाएँ-नाट्यशालाएँ हैं, उनका दर्शन सम्यग्दर्शन का निमित्त नहीं बनता है; अपितु दिव्यध्वनि में आने वाला जो मूल तत्त्वोपदेश है, वही सम्यग्दर्शन का देशनालब्धि रूप निमित्त है।
SR No.009467
Book TitlePanchkalyanak Pratishtha Mahotsava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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