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________________ छठवाँ दिन दीक्षा कल्याणक आज दीक्षाकल्याणक का दिन है। पंचकल्याणक महोत्सव का छटवाँ दिन और पंचकल्याणक का तीसरा दिन । दीक्षाकल्याणक के सन्दर्भ में तीन बातों पर विचार करना आवश्यक है । (१) नीलांजना का नृत्य, जिसके कारण ऋषभदेव को वैराग्य हुआ था । (२) चार हजार मुनिराज, जो ऋषभदेव के साथ दीक्षित हुए थे । (३) आहारदान, जिसके लिए मुनिराज ऋषभदेव को ६ माह तक भटकना पड़ा था। आज प्रातः आपने राजा ऋषभ के दरबार में नीलांजना के नृत्य का दृश्य देखा है। नृत्य करते-करते बीच में ही नीलांजना की मृत्यु हो गई। राजा ऋषभदेव एवं अन्य दर्शकों के मनोरंजन में विघ्न उपस्थित न हो; तदर्थ तत्काल वैसी ही अन्य देवांगना प्रस्तुत कर दी गई। लोगों को पता ही न चला कि नृत्यांगना बदल गई है; पर ऋषभदेव की सूक्ष्मदृष्टि से यह बात छुपी न रह सकी । जगत के इस स्वार्थीपन ने उनके चित्त को विरक्त कर दिया। वे सोचने लगे कि हमारा मनोरंजन इतना महत्वपूर्ण हो गया कि जिसके द्वारा हमारा मनोरंजन हो रहा है; उसकी मौत की कीमत पर भी हमारे रंग में भंग नहीं पड़ना चाहिए । उनके वैराग्य का कारण नीलांजना की मौत नहीं थी; अपितु जगत की यह निष्ठुरता थी। मौतें तो उन्होंने अनेक देखी होंगी। अनित्यादि भावनाओं
SR No.009467
Book TitlePanchkalyanak Pratishtha Mahotsava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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