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________________ व्यवहारचारित्राधिकार १७७ पंचाचारसमग्गा पंचिंदियदंतिदप्पणिद्दलणा। धीरा गुणगंभीरा आयरिया एरिसा होति ।।७३।। पंचाचारसमग्रा: पंचेन्द्रियदंतिदर्पनिर्दलनाः। धीरा गुणगंभीरा आचार्या ईदृशा भवन्ति ।।७३।। अत्राचार्यस्वरूपमुक्तम् । ज्ञानदर्शनचारित्रतपोवीर्याभिधानै: पंचभिः आचारैः समग्राः; स्पर्शनरसनघ्राणचक्षुः श्रोत्राभिधानपंचेन्द्रियमदान्धसिंधुरदर्पनिर्दलनदक्षाः; निखिलघोरोपसर्गविजयोपार्जितधीर गुणगंभीराः; एवं लक्षणलक्षितास्ते भगवन्तो ह्याचार्या इति । (दोहा) जो स्वरूप में थिर रहे शुद्ध अष्ट गुणवान | नष्ट किये विधि अष्ट जिन नमों सिद्ध भगवान ||१०३|| जो निज स्वरूप में स्थित हैं, शुद्ध हैं; जिन्होंने अष्टगुणरूपी सम्पत्ति प्राप्त की है। अष्ट कर्मों का नाश किया है; उन सिद्ध भगवन्तों को मैं बार-बार वंदन करता हूँ।।१०३।। विगत गाथा में सिद्धपरमेष्ठी का स्वरूप स्पष्ट किया गया है और अब इस गाथा में आचार्य परमेष्ठी के स्वरूप पर विचार करते हैं। गाथा का पद्यानुवाद इसप्रकार है ह्न (हरिगीत) पंचेन्द्रिय गजमदगलन हरि मनि धीर गण गंभीर अर परिपूर्ण पंचाचार से आचार्य होते हैं सदा ।।७३|| पंचाचारों से परिपूर्ण, पंचेन्द्रियरूपी हाथी के मद का दलन करने वाले, धीर और गुणों से गंभीर मुनिराज आचार्य परमेष्ठी होते हैं। इस गाथा के भाव को टीकाकार मुनिराज पद्मप्रभमलधारिदेव इसप्रकार स्पष्ट करते हैं ह्र “यहाँ आचार्य परमेष्ठी का स्वरूप कहा है। ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप और वीर्य नामक पाँच आचारों से परिपूर्ण; स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और कर्ण नामक पाँच इन्द्रियरूपी मदोन्मत्त हाथियों के अभिमान को दलन कर देने में दक्ष; सभी प्रकार के घोर उपसर्ग पर विजय प्राप्त करनेवाले धीर एवं गुणों में गंभीर ह्न इसप्रकार के लक्षणों से लक्षित मुनिराज आचार्य भगवन्त होते हैं।" इसप्रकार हम देखते हैं कि इस गाथा और उसकी टीका में पंचाचार के धनी, पंचेन्द्रियजयी, उपसर्गविजेता और धीर-गंभीर आचार्यदेव के स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है ।।७३।। इसके बाद तथा श्री वादिराजदेव के द्वारा भी कहा गया है' ह्न ऐसा लिखकर टीकाकार मुनिराज एक छन्द उद्धृत करते हैं; जिसका पद्यानुवाद इसप्रकार है ह्न
SR No.009464
Book TitleNiyamsara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2012
Total Pages497
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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