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________________ लम्बे आदमी को खड़ा कर दो तो ठिगना भी कहा जा सकता है। इसीप्रकार किसी मोटे आदमी को खड़ा कर दो तो मुझे पतला कहा जा सकता है और मुझसे भी पतले आदमी को खड़ा कर दो तो मोटा भी कहा जा सकता है। ___ मैं किसी की अपेक्षा भले ही मोटा-पतला या गोराकाला हो सकता हूँ, पर निरपेक्षपने तो जैसा हूँ, वैसा ही हूँ। । उसने अपनी माँ की तुलना किसी दूसरे से की ही न थी। अत: वह कैसे बताये कि उसकी माँ कैसी है? उसके निरुत्तर रहने पर पुलिसवाले कहते हैं कि वह तो अपनी माँ को पहिचानता ही नहीं है. पर क्या यह बात सच है? क्या वह बालक अपनी माँ को पहिचानता नहीं है? पहिचानना अलग बात है और पहिचान को भाषा देना अलग। हो सकता है कि वह अपने भावों को व्यक्त नहीं कर सकता हो, पर पहिचानता ही न हो- यह बात नहीं है; क्योंकि यदि उसकी माँ उसके सामने आ जावे तो वह एक क्षण में पहिचान लेगा। एक बीमा एजेन्ट ने कुछ वर्ष पूर्व उसकी माँ का एक बीमा करवाया था। अत: उसकी डायरी में सब-कुछ नोट है कि उसकी लम्बाई कितनी है, वजन कितना है, कमर कितनी है और सीना कितना है। अतः वह यह सब-कुछ बता सकता है, पर उसके मैं स्वयं भगवान हूँ| ४६
SR No.009457
Book TitleMain Swayam Bhagawan Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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