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________________ की उत्पत्ति भी नहीं होगी। -इसप्रकार उसे सम्यग्दर्शनज्ञान-चारित्र की एकतारूप मोक्षमार्ग का आरंभ ही नहीं होगा। जिसप्रकार वह रिक्शावाला बालक रिक्शा चलाते हुए भी करोड़पति है; उसीप्रकार दीन-हीन हालत में होने पर भी हम सभी स्वभाव से ज्ञानानन्दस्वभावी भगवान हैं, कारण परमात्मा हैं- यह जानना-मानना उचित ही है। ___ इस सन्दर्भ में मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि भारत में अभी किसका राज है? "कांग्रेस का" "क्या कहा, कांग्रेस का? नहीं भाई! यह ठीक नहीं है; कांग्रेस तो एक पार्टी है, भारत में राज तो जनता-जनार्दन का है; क्योंकि.जनता जिसे चुनती है, वही भारत का शासन चलाता है; अत: राज तो जनता-जनार्दन का ही है।" उक्त सन्दर्भ में जब हम जनता को जनार्दन (भगवान) कहते हैं तो कोई नहीं कहता कि जनता तो जनता है, वह जनार्दन अर्थात् भगवान कैसे हो सकती है? पर जब तात्त्विक चर्चा में यह कहा जाता है कि हम सभी भगवान हैं तो हमारे चित्त में अनेकप्रकार की शंकाएं-आशंकाएं खड़ी हो जाती है, पर भाई गहराई से विचार करें तो स्वभाव से तो प्रत्येक आत्मा परमात्मा ही है- इसमें शंका-आशंकाओं को कोई मैं स्वयं भगवान हूँ |
SR No.009457
Book TitleMain Swayam Bhagawan Hu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla, Yashpal Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2009
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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