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२. श्री अजितनाथ वन्दना
जिन अजित जीता क्रोध रिपु निज आतमा को जानकर । निज आतमा पहिचान कर निज आतमा का ध्यान धर ॥ उत्तम क्षमा की प्राप्ति की बस एक ही है साधना । आनन्दमय ध्रुवधाम निज भगवान की आराधना ॥
३. श्री सम्भवनाथ वन्दना सम्भव असम्भव मान मार्दव मार्दव धर्ममय शुद्धातमा । तुमने बताया जगत को सब आतमा परमातमा ॥ छोटे-बड़े की भावना ही मान का आधार है। निज आतमा की साधना ही साधना का सार है ॥
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