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________________ प्रकरण दूसरा जब वह घर से बाहर निकलता दिखाई देता है, उस समय उसका जाना उसकी अपनी क्रियावतीशक्ति के कारण है; मनुष्य इत्यादि तो निमित्तमात्र हैं। प्रश्न 124 - चैतन्य गुण गति कर सकता है ? उत्तर - हाँ, जब जीव क्षेत्रान्तर, गमन करता है, तब चैतन्यगुण (दर्शन और ज्ञानगुण) जीव के साथ अभेद होने से उसका भी गमन होता है, उसमें जीव की क्रियावतीशक्ति निमित्त है। प्रश्न 125 - वर्ण गुण गमन कर सकता है? उत्तर - हाँ, जब पुद्गलद्रव्य अपनी क्रियावतीशक्ति से गमन करता है, तब वर्ण गुण उसके साथ अभेद होने से वह भी गमन करता है। प्रश्न 126 - गतिहेतुत्व गुण एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है? उत्तर - नहीं जाता, क्योंकि गतिहेतुत्व, धर्मास्तिकाय द्रव्य का गुण है और वह द्रव्य तो त्रिकाल स्थिर रहनेवाला है; उसमें क्रियावतीशक्ति नहीं है। प्रश्न 127 - तो फिर गतिहेतुत्व का अर्थ क्या? उत्तर - जब जीव और पुद्गल स्वयं अपनी क्रियावतीशक्ति के कारण गतिरूप परिणमित हों, उस समय उन्हें लोक में स्थिर और सर्वव्यापक धर्मद्रव्य का वह गुण निमित्त होता है- यही गतिहेतुत्व का अर्थ है। प्रश्न 128 - गतिहेतुत्व गुण स्वयं अपने साथ रहनेवाले अन्य गुणों को गति करने में निमित्त है?
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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