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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला समय की स्वतन्त्र पर्याय की योग्यता से घड़ा बना है और उस समय कुम्हार अपनी पर्याय की स्वतन्त्र योग्यता से उपस्थित था, किन्तु कुम्हार ने घड़ा नहीं बनाया; कुम्हार और घड़ा दोनों के परिणमन स्वतन्त्र हैं। 243 एक पर्याय में दो प्रकार की भिन्न-भिन्न योग्यता नहीं होती - जब तक कुम्हाररूप निमित्त नहीं था, तब तक मिट्टी में से घड़ा क्यों नहीं बना ? प्रश्न - उत्तर – यहाँ यह विशेष विचारणीय है कि जिस समय मिट्टी में से घड़ा नहीं बना, उस समय क्या उसमें घड़ा बनने की योग्यता थी ? अथवा उसमें घड़ा बनने की योग्यता ही नहीं थी ? यदि ऐसा माना जाए कि जब 'मिट्टी में से घड़ा नहीं बना था तब उस समय भी मिट्टी में घड़ा बनने की योग्यता थी, परन्तु निमित्त नहीं मिला, इसलिए घड़ा नहीं बना, ' तो यह मान्यता ठीक नहीं है, क्योंकि जब मिट्टी में घड़ारूप अवस्था नहीं हुई, तब उसमें पिण्डरूप अवस्था है और उस समय वह अवस्था होने की ही उसकी योग्यता है। जिस समय मिट्टी की पर्याय में पिण्डरूप अवस्था की योग्यता होती है, उसी समय उसमें घड़ारूप अवस्था की योग्यता नहीं हो सकती क्योंकि एक ही पर्याय में एक साथ भिन्न-भिन्न दो प्रकार की योग्यताएँ कदापि नहीं हो सकती । यह सिद्धान्त अत्यन्त महत्व का है; अतः इसे प्रत्येक जगह लागू करना चाहिए। इस सिद्धान्त से यह निश्चित हुआ कि मिट्टी में जिस समय पिण्डरूप अवस्था थी, उस समय उसमें घड़ारूप अवस्था की योग्यता ही नहीं थी; इसलिए उससे घड़ा नहीं बना, परन्तु यह बात मिथ्या
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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