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________________ श्री जैन सिद्धान्त प्रश्नोत्तरमाला 235 निमित्त - यह तो बात प्रसिद्ध है, सोच देख उर माहिं। नरदेही के निमित्त बिन, जिय क्यों मुक्ति न जाहिं॥16॥ उपादान - देह पींजरा जीव को, रोकै शिवपुर जात। उपादान की शक्ति सों, मुक्ति होत रे भ्रात॥17॥ निमित्त - उपादान सब जीव पै, रोकनहारौ कौन? जाते क्यों नहिं मुक्ति में, बिन निमित्त के हौन॥18॥ उपादान - उपादान सु अनादि को, उलट रह्यौ जगमाहिं। सुलटत ही सूधे चलें, सिद्धलोक को जाहिं॥19॥ निमित्त - कहुँ अनादि बिन निमित्त ही, उलट रह्यौ उपयोग। ऐसी बात न संभवै, उपादान तुम जोग॥20॥ उपादान - उपादान कहे रे निमित्त, हम पै कही न जाय। ऐसी ही जिन केवली, देखे त्रिभुवन राय॥21॥ निमित्त - जो देख्यो भगवान ने, सो ही सांचो आहिं। हम तुम संग अनादि के, बली कहोगे काहिं॥22॥ उपादान उपादान कहे वह बली, जाको नाश न होय। जो उपजत विनशत रहे, बली कहाँ तें सोय॥23॥
SR No.009453
Book TitleJain Siddhant Prashnottara Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendra Jain
PublisherKundkund Kahan Parmarthik Trust
Publication Year
Total Pages419
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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