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________________ 4: गागर में सागर ६३ जनता गली-गली में नारे लगाती है कि हत्यारी सरकार स्तीफा दे । वाढ़ में हुए विनाश पर सरकार को कोई हत्यारा नहीं कहता । भारतीय जनता इस तथ्य से भली-भाँति परिचित है, उसके रोम-रोम में यह सत्य समाया हुआ है, उसके अन्तर में अहिंसा के प्रति एक गहरी आस्था आज भी विद्यमान है । इसका प्रत्यक्ष प्रमारण यह है कि भोपाल (म. प्र. ) की गैस दुर्घटना में हजारों लोगों के मर जाने के बाद भी वहाँ शासक दल ने दो-तिहाई से भी अधिक बहुमत प्राप्त किया; किन्तु राजस्थान में पुलिस की गोली से एक व्यक्ति के मर जाने पर मुख्यमंत्री को अपना पद छोड़ना पड़ा । श्रीमती इन्दिरा गाँधी की श्रमानुषिक हत्या पर जनता की यही प्रतिक्रिया रही । भारतीय जनता ने उनकी अमानुषिक हत्या अर्थात् हिंसा के विरुद्ध चुनाव में अपना स्पष्ट मत व्यक्त किया । परिणामस्वरूप इन्दिरा कांग्रेस को अभूतपूर्व विजय प्राप्त हुई । इस सत्य से सभी भली-भाँति परिचित हैं कि यदि श्रीमती इन्दिरा गाँधी स्वयं चुनाव लड़तीं तो इतना बहुमत उन्हें भी मिलनेवाला नहीं था । वस्तुत: यह इन्दिरा कांग्रेस या श्री राजीव गाँधी की जीत नहीं, हिंसा के विरुद्ध अहिंसा की जीत है । भारतीय जनता ने स्पष्ट रूप से हिंसा के विरुद्ध अहिंसा के पक्ष में अपना मत व्यक्त किया है । इससे प्रतीत होता है कि बहुत गहराई में जाकर भारतीय जनता आज भी भगवती अहिंसा की आराधक है, उसकी रग-रग में भगवती अहिंसा उसीप्रकार समाई हुई है, जिसप्रकार तिल में तेल और दूध में घी । प्राकृतिक विनाश भारतीय जनता के चित्त को करुणा-विगलित तो करता है, उसमें एक संवेदना पैदा तो करता है; पर वह उसके चित्त को उद्वेलित नहीं करता, आन्दोलित नहीं करता; किन्तु बुद्धिपूर्वक की गई हिंसा से वह प्रान्दोलित हो जाता है, उद्वेलित हो जाता है, वह भड़क उठता है । हत्याओं के प्रति यह श्राक्रोश भारतीय जनता की हिंसा में गहरी आस्था को ही व्यक्त करता है । भारतीय जनता की श्रहिंसा के प्रति गहरी समझ एवं दृढ़ प्रास्था को समझने के लिए हमें उसके अन्तर में उतरना होगा, उसके व्यवहार
SR No.009449
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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