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________________ भगवान महावीर और उनकी अहिंसा यदि दस-बीस मीटर दूर हुआ तो तलवार बेकार है। फिर हमने और भी तरक्की को और गोलियाँ बना लीं, पर वे गोलियाँ भी एक समय में एक आदमी को ही मार सकती थीं तथा उनकी मारक क्षमता भी सौ-दो सौ मीटर तक ही थी; किन्तु आज हमने ऐसी-ऐसी गोलियाँ बना ली हैं कि एक गोलो से चीन साफ हो जाय और दूसरी गोली से भारत । मारक क्षमता का भी इतना विकास कर लिया है कि अमेरिका अपने घर बैठे-बैठे ही एक बटन दबाये तो चीन साफ और दूसरा बटन दवाये तो भारत साफ। और आप जानते हैं कि ये बटन दबाना भी किन लोगों के हाथ में है ? जो दिन में तीन-तीन बोतल मदिरा पान करते हैं। भाई ! जब हम गरम पानी पीनेवाले लोग भी इतना भ्रमित हो जाते हैं कि बिजली का बटन दबाना चाहते हैं और पंखा चल जाता है, भूल से बगल का बटन दब जाता है; तब उन तीन बोतल पीनेवालों का क्या कहना? यदि उन्होंने चीन का बटन दबाने की सोची और भूल से भारतवाला बटन दब गया तो क्या होगा? हम सब लोग मुफ्त में ही मारे जावेंगे। कहते हैं कि अमेरिका ने इतनी विनाशक सामग्री तैयार कर ली है कि यदि वह चाहे तो दुनिया को चालीस बार तबाह कर सकता है । रशिया भी आज इस स्थिति में पहुंच गया है कि पच्चीस बार दुनिया को तवाह तो वह भी कर सकता है । चीन भी आज इस स्थिति में है कि पाँच वार दुनिया की सफाई कर दे । भाई ! सौभाग्य कहो या दुर्भाग्य, आज भारत भी इस हालत में है कि एकाध बार तो यह काम वह भी निवटा सकता है; पर चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह दुनिया ७१ बार बर्बाद हो - ऐसा मौका कभी नहीं आयेगा, क्योंकि जब यह दुनिया एक बार बर्बाद हो जावेगी तो दुबारा बर्बाद होने को कुछ बचेगा ही नहीं। एक बार किसी दार्शनिक से पूछा गया कि तीसरा विश्वयुद्ध कैसे लड़ा जायेगा; तो उन्होंने बताया कि तीसरे की बात तो मैं नहीं कह सकता, पर चौथा विश्वयुद्ध लाठियों और पत्थरों से ही लड़ा जायेगा। उनके कहने का तात्पर्य यह था कि यदि तीसरा विश्वयुद्ध हा तो वह इतना भयानक होगा, इतना विनाशक होगा कि उसमें सम्पूर्ण दुनिया तबाह हो जावेगी और हम फिर उसी आदम युग में पहुँच जावेंगे, जबकि लोग लाठियों और पत्थरों से लड़ा करते थे; अत: तीसरे विश्वयुद्ध की बात साचना भी भयानक अपराध है, सामूहिक आत्महत्या का प्रयास है।
SR No.009449
Book TitleGagar me Sagar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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