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समयसार कलश पद्यानुवाद, योगसार पद्यानुवाद, कुन्दकुन्द शतक, शुद्धात्म शतक, आदि की अपार सफलता के पश्चात् अब यह अष्टपाहुड' पद्यानुवाद आपके हाथों में है, आशा है समाज इसका समुचित समादर करेगी।
यहाँ यह भी स्मरणीय है कि डॉ. भारिल्ल द्वारा अभी हाल में ग्रंथाधिराज समयसार और उसकी टीकाओं का अनुशीलन ५ भागों के माध्यम से लगभग २ हजार १३६ पृष्ठों में प्रकाशित होकर जन सामान्य तक पहुंच चुके हैं।
__ अध्यात्मप्रेमी समाज 'अष्टपाहुड पद्यानुवाद' की शीघ्र तैयार होने वाली संगीतमय कैसेट से लाभान्वित हों, इसी भावना के साथ -
- नेमीचन्द पाटनी
महामंत्री