SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आत्मा ही है शरण 90 लिए १ जुलाई, १९८८ से ४ जुलाई, १९८८ ई. तक के लिए अभी से स्थान सुरक्षित करा लिया गया है । ध्यान रहे, यहाँ पर प्रत्येक शनिवार और रविवार को नियमित धार्मिक कक्षाएं चलती है जिनमें रजनीभाई गोशलिया, जयाबैन नागदा एवं कन्नूभाई शाह अध्यापन करते हैं । पाठशाला में जिनेन्द्र-वंदना एवं बारहभावना का पाठ भी किया जाता है । उसके बाद १७ जून, १९८७ ई. को डिट्रोयट पहुंचे, जहाँ अशोक चौकसी एवं डॉ. लीना चौकसी के घर ठहरे । उन्हीं के यहाँ १७ एवं १८ जून को कार्यक्रम रखे गये, जिनमें आत्मानुभव की पूर्व भूमिका पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए तत्त्वनिर्णय की प्रक्रिया पर सोदाहरण तर्कसंगत विवेचन किया गया, प्रश्नोत्तर भी खूब हुए । __ १९ जून, १९८७ ई. को विन्डसर होते हुए टोरन्टो पहुँचे । वहाँ जैन सेन्टर के मन्दिर के हाल में २० जून, १९८७ ई. शनिवार को प्रातः ११ वजे से १ बजे तक, सायं ७ बजे से १० बजे तक एवं २१ जून, १९८७ रविवार को ४ से ६ बजे तक प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये थे, जो सभी सफल रहे । २१ जून, रविवार को वफेलो में ११ बजे से १ बजे तक जैन व हिन्दू कम्यूनिटी के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दू कल्चर सेन्टर में शताधिक लोगों की उपस्थिति में अहिंसा पर मार्मिक प्रवचन हुआ । टोरन्टो से वापिस डिट्रोयट आये । वहाँ २२ जून को डॉ. अशोक जैन के घर पर, २३ जून को मीनू शाह के घर पर, २४ जून को प्रवीणशाह के घर पर एवं २५ जून को अनन्त कोरड़िया के घर पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम हुए । इसप्रकार डिट्रोयट में २ दिन पहले और ४ दिन ये कुल मिला कर ६ दिन कार्यक्रम हुए, जो अत्यधिक उपयोगी रहे, क्योकि ये सभी प्रवचन तत्त्वप्रेमी व्यक्तियों के बीच हुए थे, इसलिए इनमें सहज ही गहरी आध्यात्मिक चर्चा होती रही ।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy