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________________ 21 विदेशों में जैनधर्म के प्रचार-प्रसार की सम्भावनाएं होने के बाद प्रश्नोत्तर चले। साहित्य भी सभी लोग ले गए। इसके पूर्व निरुपम खारा के घर तीन दिन तक चर्चा एवं बच्चों की कक्षा का कार्यक्रम चला । बच्चों की कक्षा गुणमाला भारिल्ल ने ली, जिसमें उन्होंने पाठमाला भाग १ के चार पाठ पढ़ाये। २७ छात्र पढ़ने आते थे । एन्टवर्प में १५० घर पालनपुरी जैनों के हैं, जो सभी हीरे के व्यापारी ___इसके बाद लन्दन पहुँचे, वहाँ २६ जून, १९८५ से ३० जून, १९८५ तक प्रतिदिन नवनाथ भवन में भेदविज्ञान और आत्मानुभूति जैसे गम्भीर विषयों पर मार्मिक प्रवचन हुए । वहाँ हमारे प्रवचनों के कैसेट तत्काल तैयार करके बिक्री की व्यवस्था की गई थी, जिसमें सैकड़ों कैसेट बिके । ___ लन्दन से साठ मील दूर एक 'लिस्टर' नामक नगर है। वहाँ एक विशाल जैन मन्दिर बन रहा है। मन्दिर बहुत विशाल है; पर चर्च खरीद कर बनाया जा रहा है, अतः उसका स्वरूप बाहर से मन्दिर जैसा नहीं लगता। उसमें एक कमरे में दिगम्बर प्रतिमा भी विराजमान होगी। इस मन्दिर में भी हमारा एक व्याख्यान हुआ। इसप्रकार लन्दन में भरपूर धर्मप्रभावना कर हम २ जुलाई को न्यूयार्क पहुँचे। वहाँ ७ जुलाई तक ठहरे। 'सिद्धाचलम्' में बच्चों के शिविर का उद्घाटन ६ जुलाई को था, जिसमें हमारा व्याख्यान हुआ। 'सिद्धाचलम्' के बारे में हम गत वर्ष विस्तार से लिख चुके हैं। जैन इतिहास की दृष्टि से यह स्थान भविष्य में निश्चित ही ऐतिहासिक महत्त्व का साबित होगा। ६ जुलाई की शाम को हमारा व्याख्यान न्यूजर्सी जैन सेन्टर में था और ७ जुलाई रविवार को दोपहर में न्यूयार्क जैन सेन्टर में प्रवचन रखा गया था । ३ व ४ जुलाई को निर्मल दोशी के घर एवं ५ जुलाई को डॉ. पाण्डया के घर तत्त्वचर्चा के कार्यक्रम रखे गए थे ।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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