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________________ जैनभक्ति और ध्यान इस वर्ष की यह विदेश यात्रा १३ जून, १९९१ से अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डी. सी. से आरम्भ हुई । प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी वहाँ १३ जून से १७ जून, १९९१ तक शिविर आयोजित था । इस शिविर में सब-कुल मिलाकर १४ घंटे के कार्यक्रम चले, जिसमें प्रवचन और चर्चा सभी शामिल हैं । सभी के टेप तैयार किए गये । समयसार की प्रमुख गाथाओं के अतिरिक्त आत्मा की पहिचान, सम्यग्दर्शन, सात तत्त्व एवं शाकाहार प्रमुख विषय थे । __ इसके बाद १८ जून से २१ जून तक का अटलान्टा का कार्यक्रम था, जहाँ विभित्र स्थानों पर एवं विभिन्न विषयों पर एक-एक घंटे के चार व्याख्यान हुये तथा सर्वत्र ही एक-एक घंटे की तत्त्व-चर्चा भी हुई । पहले दिन संतोष कोठारी के घर शाकाहार पर, दूसरे दिन कुशलराजजी के घर आत्मा की पहिचान पर, तीसरे दिन डॉ. कीर्तिशाह के घर ध्यान पर एवं चौथे दिन डॉ. महेन्द्र दोशी के घर ध्यान की विधि पर व्याख्यान हुआ । ___इसके बाद २२ जून से २५ जून तक चार दिन का कार्यक्रम टोरन्टो में था । २२ जून, शनिवार का कार्यक्रम जैन मन्दिर में रखा गया था, पर २३ जून, रविवार का कार्यक्रम एक विशाल बगीचे में रखा गया था, साथ में पिकनिक का कार्यक्रम भी था । अतः उपस्थिति बहुत अच्छी थी, लगभग ५०० भाई-बहिन होंगे । वहाँ शाकाहार पर प्रभावी प्रवचन हुआ। शेष दो दिन के प्रवचन मन्दिरजी के हॉल में ही रखे गये थे । प्रवचन के विषय लगभग अटलान्टा के समान ही थे । तत्त्व-चर्चा भी प्रवचन के वाद होती ही थी । ___ इसके बाद २६ जून से २९ जून, शनिवार तक का चार दिन का कार्यक्रम डिट्रोयट का था । यहाँ आरम्भ के दो दिन अनन्त कोरड़िया के घर पर
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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