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________________ 169 धूम क्रमबद्धपर्याय की यहाँ भी जैन सेन्टर के लिए जगह खरीद ली गई है । बना-बनाया मकान है, उसमें आवश्यक परिवर्तन करके जिनबिंब विराजमान करने की योजना है । यहाँ भी अन्य स्थानों के समान ही एक मूर्ति दिगम्बर एवं एक मूर्ति श्वेताम्बर रहेगी । दोनों मूर्तियाँ एकसी व समान ऊँचाई की होंगी। ____ यहाँ पाठशाला भी चलती है । जैन सेन्टर के अध्यक्ष श्री अतुल खारा हैं, उनके प्रयत्नों से निरन्तर आध्यात्मिक वातावरण बना रहता है । यहाँ तीनों दिन जैन सेन्टर के हाल में ही शुद्धात्मशतक के पाठ के उपरान्त उसी की गाथाओं के आधार पर 'सम्यग्दर्शन और आत्मानुभूति' विषय पर मार्मिक प्रवचन हुए । प्रवचनोपरान्त गहरी तत्त्वचर्चा भी हुई । इसके वाद ७ जुलाई, १९८९ ई. को शिकागो पहुँचे, जहाँ निरंजन शाह के घर ठहरे, उस दिन एक प्रवचन उनके घर पर ही हुआ । दूसरे दिन शनिवार व रविवार को प्रतिदिन दो-दो प्रवचन हाल में रखे गये थे। समयसार गाथा १४४ पर हुए चारों प्रवचन बहुत ही प्रभावी रहे । चर्चा भी विषयानुसार गम्भीर ही चली । ___यहाँ से १० जुलाई, १९८९ ई. को मियामी पहुँचे, जहाँ महेन्द्रभाई शाह के घर पर ठहरे । यद्यपि हम यहाँ पहली बार ही गये थे, हमारा किसी से कोई परिचय भी नहीं था; अतः हम सोच रहे थे कि यहाँ कोई सरल विषय लेना होगा; पर जब चर्चा चली तो महेन्द्रभाई ने कहा कि हमारे पास आपके अनेक केसेट हैं, जिन्हें हम अनेक बार सुन चुके हैं । उन्हें वे केसेट लन्दन से भगवानजीभाई कचराभाई शाह से प्राप्त हुए थे। उन्होंने उन केसेटों की विषयवस्तु भी हमें बताई, जिससे हमें पता चला कि विगत पाँच वर्षों में जो प्रवचन हमने लन्दन में दिये थे, लगभग वे सभी केसेट उनके पास थे, जिन्हें वे अनेकों बार सुन चुके थे । उनके पास आध्यात्मिक सत्पुरुष श्री कानजीस्वामी के योगसार पर हुए प्रवचनों का भी पूरा सेट था, जिसे वे बड़ी ही रुचिपूर्वक सुना करते थे।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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