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________________ 139 धूम क्रमबद्धपर्याय की उन्होंने अपने आश्रम का एलबम दिखाते हुए कहा " बहुत ही शान्त एकान्त है, आप कभी आराम करने की आवश्यकता समझें तो पधारिये, आपको सब व्यवस्था उपलब्ध होगी, आपको पूरा आराम मिलेगा, हमें व हमारे साधकों को आपके समागम का लाभ भी प्राप्त होगा ।" शिविर लगाने का आमंत्रण देते हुए कहा - - " आप अपना एक शिविर हमारे आश्रम में भी लगाइये । हमारे यहाँ २०० व्यक्तियों के रहने- ठहरने आदि की सुन्दर व्यवस्था है । हम सब भी लाभ लेंगे । भारतीय विद्या भवन, बम्बई में होनेवाले आपके व्याख्यानों के कैसेट भी हमारे पास हैं ।" उन्होंने यह भी कहा कि हमने अमेरिका में सभी जगह आपके व्याख्यान सुनने की प्रेरणा दी है । वन्धुत्रिपुटी मूर्तिपूजक श्वेताम्बर समाज के प्रसिद्ध प्रवक्ता साधु हैं, जिनके प्रवचनों की धूम देश-विदेश में है । वे तीन भाई हैं, तीनों साधु हैं; साथ ही रहते हैं और बन्धुत्रिपुटी नाम से जाने जाते हैं । श्वेताम्बर समाज में विगत अनेक वर्षों से बम्बई में उनके व्याख्यानों की धूम रहती थी । इसवर्ष वे विदेश गये हैं, अमेरिका में भी उनके व्याख्यानों की बड़ी ही लोकप्रियता है । विदेशों में श्वेताम्बर समाज अधिक होने से उनकी पकड़ भी अच्छी है । तीनों ही भाई उदार विचारों के हैं और सबको साथ ले चलने की भावना रखते हैं । उनका स्पष्ट कहना था कि हम और आप सभी धर्मप्रचारक हैं, कोई छोटा बड़ा नहीं है । सम्यग्दर्शन के बिना चारित्र नहीं होता, सम्यग्दर्शन आत्मानुभूति बिना नहीं होता । अतः आत्मानुभूति के बिना धर्म का आरंभ नहीं होता - आपकी यह बात शत-प्रतिशत सत्य है । इस बात का प्रचार होना चाहिए ।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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