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________________ आत्मा ही है शरण 120 इसप्रकार अमेरिका एवं कनाडा के कार्यक्रम से निवृत्त होकर हम १७ जुलाई, १९८८ ई. को लन्दन पहुँचे, इस अवसर पर लंदन के समीपस्थ नगर लिस्टर में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन था, जिसमें देश-विदेश के लगभग दश हजार लोग उपस्थित थे । अत्यन्त सुव्यवस्थित इस समारोह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें जैन समाज के सभी सम्प्रदायों का सहयोग था और सभी सम्प्रदायों के लोग अत्यन्त उत्साह से सम्मिलित थे । ___डॉ. नटूभाई शाह के नेतृत्व में संचालित यह समारोह सचमुच ही प्रेरणास्पद था, इसमें आद्योपान्त जैन समाज की एकता के स्वर मुखरित होते रहे । हम भी इसी समारोह में ससम्मान आमंत्रित होकर भाग लेने गये थे। अतः लन्दन में प्रतिवर्ष की भांति इसवर्ष हॉल में प्रवचन आयोजित नहीं किये गये; क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि उक्त कार्यक्रम के समानान्तर कोई अन्य कार्यक्रम हो। फिर भी लोग हमें अधिक से अधिक सुनना चाहते थे और उक्त समारोह में तो अवसर सीमित ही थे । इसकारण लंदन में लक्ष्मीचंदभाई के घर पर ही १७ एवं १८ जुलाई को कार्यक्रम आयोजित किये गये । १९ जुलाई, १९८८ ई. को हम लिस्टर पहुँच गये और २३ जुलाई, १९८८ ई. तक वहीं रहे । लिस्टर हम विगत पाँच वर्ष से जा रहे हैं। अतः वहाँ भी लोग हमारे प्रवचन सुनने को लालायित थे । प्रतिष्ठा महोत्सव में तो अधिक अवसर थे नहीं, अतः प्रतिष्ठा महोत्सव समिति की स्वीकृतिपूर्वक एक दिन बच्चूभाई के घर व एक दिन स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष के घर पर हमारे कार्यक्रम रखे गये, जिनका लगभग २०० लोगों ने लाभ लिया । उक्त अवसर पर पंचकल्याणक समिति एवं जैन शोसल ग्रुप के तत्वावधान में २१ जुलाई, १९८८ ई. से २३ जुलाई, १९८८ ई. तक जैन विश्व कॉन्फ्रेन्स आयोजित थी । इसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे, जिनमें भट्टारक श्री चारुकीर्तिजी, श्रवणबेलगोल
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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