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________________ आत्मा ही है शरण 100 शेठ एवं आशाबैन शेठ हमें यहाँ से कार द्वारा टोरेन्टो ले गये, रास्ते में भक्ति के सन्दर्भ में चर्चा करते रहे, उनकी अनेक शंकाओं-आशंकाओं का हमने यथासंभव समाधान किया । टोरन्टो में दिनेश जैन के घर ठहरे और १७ जून को मन्दिर में 'कुन्दकुन्द शतक' के पाठोपरान्त उसी पर मार्मिक प्रवचन हुआ । उसके बाद विन्डसर होते हुए डिट्रोयट पहुँचे, जहाँ दो दिन अनन्त कोरड़िया एवं जयाबैन कोरडिया के घर तथा एक दिन अशोक चौकसी एवं डॉ. लीना बैन चौकसी के घर ठहरे। कार्यक्रम भी उन्हीं के घर पर रखे गये ।। प्रथम दिन औपशमिकादि पाँच भावों पर मार्मिक चर्चा हुई, परमपारिणामिक भाव के रूप में दृष्टि के विषय का खुलासा बहुत ही अच्छा हुआ । दूसरे दिन 'कुन्दकुन्द शतक' के पाठ के उपरान्त उसी की ४६ से ५२ तक की गाथाओं पर तथा तीसरे दिन जिनेन्द्र वंदना के पाठ के उपरान्त 'आत्मानुभव' विषय पर मार्मिक प्रवचन हुआ । चर्चा भी हुई । सभी के वीडियो केसेट तैयार किये गये । डिट्रोयट से शिकागो पहुँचे, जहाँ निरंजनभाई के घर पर ठहरे । २३ जून, १९८८ को उन्हीं के घर पर ज्योतेन्द्रभाई की मांग पर समयसार गाथा ६ पर प्रवचन व चर्चा हुई । २४ जून, १९८८ को डॉ. विक्रमभाई एवं जयश्रीवैन के घर ठहरना हुआ, समयसार गाथा ३८ पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम उन्हीं के घर पर हुए । २५ जून, १९८८ के प्रातः १० बजे हंसमुखभाई एवं ज्योत्सना बैन (जेसी) के घर पर 'क्रमबद्धपर्याय की जीवन में उपयोगिता' विषय पर प्रवचन व चर्चा हुई । इसी दिन दोपहर को मानव सेवा आश्रम के हॉल में 'कुन्दकुन्द शतक' के पाठ के उपरान्त उसी की गाथा ४६-५२ पर प्रवचन व चर्चा हुई । २६ जून, १९८८, रविवार के प्रातः निरंजन शाह के घर पर समयसार गाथा ७३ पर और इसी दिन दोपहर को मानव सेवा आश्रम के
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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