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________________ अब तुम्हारा बेटा अभिमन्यु वापस नहीं आने का..... । तो वहाँ सुभद्रा ने कहा- "करुणा निधान करुणा, करुणा भरे से पूछो। ज्वाला वियोग का दुःख, छाती जरे से पूछो। बनते समय की बातें, बिगड़े समय पूछा । बच्चे का प्यार, उसकी माँ के हृदय से पूछो।।" तो समय की कीमत कौन कर पायेगा? जो अपने बिगड़े हुये समय पर दृष्टि देगा कि मैंने अपने स्वरूप को न जानने के कारण अभी तक मोह ममता में व्यर्थ समय खोया । कैसा विचित्र एक गजब आश्चर्य हो गया कि यह जीव स्वयं ही शान्ति का धाम है और दूसरी जगह शान्ति ढूढ़ता फिर रहा है । जैसे किसी माँ की गोद में खुद का बालक बैठा हुआ है ओर उसे यह ख्याल आ जाये कि मेरा बालक कहीं गुम गया और उसे यों ही आस-पड़ोस में ढूढ़ती फिरे तो ऐसा पागलपन हमने तो कभी नहीं देखा । मगर एक कहावत चल रही है कि- "काँख में बालक, बगल में टेर" । बालक अपनी गोद में है और पुरा पड़ोस में टेर रही । तो ऐसी बात देखकर जैसे लोग पागलपन कहते हैं, ऐसे ही स्वयं शान्ति का धाम है, पर अपने में न आकर, बाह्य पदार्थों से शान्ति प्राप्ति की आशा करना भी पागलपन है । अतः इस मायामय मुग्ध मत होओ और तत्त्वज्ञान प्राप्त करने का प्रयास समागम करो । यह पंचम काल चल रहा है, इसमें हम आपको जो संहनन मिला है, वह सबसे जघन्य है । इस समय कठिन उपसर्ग, परीषह आदि सहना बड़ा कठिन है । अतः अशुभ कर्मों से बचने और तत्त्व ज्ञान प्राप्त करने के लिये सभी को जिनवाणी का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिये । मन में जब कोई शोक की लहर हो, जब कोई व्याकुल हो, जब मन विषयभोगों में भटककर अशुभ कर्मों का बन्ध कर रहा हो, तब उसको शास्त्रों के स्वाध्याय में लगा दीजिये, अशुभ कर्मों का 715
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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