SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 695
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के अनुसार होना है । ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिये हमें अपनी वेशभूषा, चालचलन भारतीय संस्कृति के अनुसार सादा रखना चाहिये । शीलव्रत (ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिये हमें पाँच बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिये। पहली है, अपने कानों को बचा के रखना । अर्थात् कानों को ऐसा विषय न दें जो भीतर विकार पैदा करे । दूसरा है, अपनी आँखों को बचा के रखना । अर्थात् आँखों को ऐसे दृश्य न दिखाये जिनको देखकर विकार उत्पन्न हो जाये और तीसरी चीज है, मन को बचाकर रखना । अर्थात् मन में कोई ऐसी बात न आने दें, जिससे अपने भाव बिगड़ जायें। चौथी चीज है अपनी ( जिव्हा इन्द्रिय) जीभ को काबू में रखना । अर्थात् ऐसा गरिष्ठ भोजन नहीं करना जो शरीर में नशा पैदा करे और पाँचवी बात है अपनी वेशभूषा, अपने शरीर की सजावट ऐसी न करें जिससे किसी दूसरे के मन में पाप का भाव उत्पन्न हो । ऐसी सजावट करना, रूप प्रदर्शन करना भी तो पाप है । क्यों कर रहे हो ऐसी सजावट ? हनुमान पोतदार ने लिखा है भारतीय सती नारी रूप प्रदर्शन को शील का अपमान समझती है । रूप प्रदर्शन करने से अपने शील में दोष लगता है, पूजा में पढ़ते हैं शील सदा दृढ़ जो नर पाले, सो ओरन की आपद टाले। जो अपने शील का दृढ़ता से पालन नहीं करते, वे दूसरों को आपदा में डालते है, अर्थात् उनके भाव बिगड़ने में कारण बनते है । हमें अपनी वश भूषा सादा रखना चाहिये । यदि इन पाँच बातों का ध्यान रखा तो हम अपने जीवन को उत्थान की ओर ले जा सकते हैं । वर्णी जी के ब्राह्मण गुरुजी थे पं. ठाकुर प्रसाद जी । पंडित जी बहुत बड़े विद्वान थे। एक बार वे अपनी पत्नी को बनारसी साड़ी 680
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy