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________________ 3. मधुर गान सुनने से | 4. एकान्त में स्त्री का सम्पर्क करने से | 5. स्त्री के अंगोपांग देखने से | पहला कारण है 1. स्त्री के चित्रादि को देखने से- पुस्त (मिट्टी, दारू, चर्म, लौह और रत्न से निर्मित) पाषाण, काष्ठ, चित्र आदि से भी रची हुई स्त्रियों की आकृति को देखकर प्राणी माह को प्राप्त हाता है। देखो, जो त्रिखण्ड के अधिपति थे, सम्पूर्ण सेना को पराजित करने में समर्थ थ, ऐसे पराक्रमी कृष्ण भी रुक्मणी के चित्र मात्र को दखकर कामासक्त हो गये और उसकी प्राप्ति क लिये हरण जैसा तुच्छ कार्य किया, अर्थात् रुक्मणी को हरण करके ले आये तथा उसकी प्राप्ति में विघ्न डालने वाले राजा शिशुपाल के साथ युद्ध करके सैकड़ों जीवों (प्राणियों) का संहार किया। इसी प्रकार राजा श्रेणिक जो भावी तीर्थंकर होने वाले हैं, वे भी चेलना के चित्र को देखकर सम्पूर्ण राज्य का काम काज भूल गये | उसकी प्राप्ति के लिय उनके पुत्र अभय कुमार ने जैन-धर्म पालन करने का ढोंग किया और मायाचारी से छलकर चेलना का हरण कर लाये | अतः टी.वी. आदि पर ऐसे चित्र नहीं दखना चाहिये । सेठ जीवदेव के पुत्र जिनदत्त थे, जो जिन भक्त, धर्मात्मा, पुण्यवान तथा तेजस्वी थे। माता-पिता, मित्र, बंधु आदि के अनेक प्रकार से समझाने के बाद भी वे किसी प्रकार भी विवाह करने के लिये तैयार नहीं हुये | वे ही जिनदत्त एक दिन कोटिकूट चैत्यालय में दर्शन-पूजन-भक्ति के लिय गये थे | वहाँ मन्दिर के बाहर दरवाजे की सीढ़ियों पर बनी एक पुत्तलिका (पाषाण में उकेरी गई (647)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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