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________________ कोर्ट का दरवाजा खटखटा देती है, बिल्ली का मतलब यही है कि जो थोड़ी-सी तृष्णा आपके लिये जागृत हो जाती है, वह तृष्णा बढ़ती ही चली जाती है। आपन सोचा एक मकान से काम नहीं चल रहा है, दूसरा मकान ले लें | दूसरे से भी मन नहीं भरा तो तीसरे की आवश्यकता हो जाती है। उसकी रखवाली के लिये नौकरों की आवश्यकता पड़ती है। नौकरों को देने के लिये पैसों की आवश्यकता होती है, इत्यादि प्रकार से पैसों की आवश्यकता होगी, तो आप फेक्ट्रियाँ डालोगे, गाड़ी घोड़ा चलाओग और धीरे-धीरे तुम्हारी आकांक्षा बड़ते-बड़त एक दिन कर्म रूपी पुलिस आयेगी और तुम्हें पकड़ के संसार रूपी जेल में कैद कर दगी| तो तुम्हारी छोटा-सा भी परिग्रह रखने की भावना है, उसक संरक्षण के लिये जो परिणाम आते हैं, वही परिणाम आपके लिये इस संसार में भटकाते रहते हैं। यहाँ पर कथाकार लिखते हैं कि कभी भी बिल्ली मत पालना, आप कहोगे कि हम तो बिल्ली कभी नहीं पालते, हमारे पास ता बिल्ली है ही नहीं, तो बिल्ली का यहाँ मतलब परिग्रह स है। परिग्रह को कभी नहीं पालना, परिग्रह को अपने पास कभी नहीं रखना। परिग्रह को रखना तो ममत्व के परिणाम उससे नहीं रखना, और ममत्व के परिणाम बने हैं ता वही ममत्व के परिणाम एक-न-एक दिन बढ़ते ही चले जाते हैं। पर-पदार्थों से ममत्व ही हमें दुःख देता है | जो आपके पास एक घड़ी है, यदि वा घड़ी नौकर से टूट जाती है, तो वो आपसे माफी माँग लेता है और अपने घर जाकर आनन्द से सोता है, परन्तु आप रात भर जागत रहत हैं, आपको नींद नहीं आती है, क्योंकि उस घड़ी क टूट जाने से आप दुःखी हो रहे हैं। जिससे वह घड़ी टूटी है, उस नौकर को कुछ भी नहीं हो रहा है। क्यों नहीं हा रहा है? क्योंकि नौकर की वो घड़ी नहीं थी, घड़ी ता मालिक की थी (591)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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