SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 59
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ होश खो बैठी तथा उसने अपने सुकुमार बच्चे को जलते चूल्ह में झोंक दिया। उसका इकलौता बेटा था, जिस क्रोध खा गया । बुढ़ापे का सहारा था, जिसे क्राध ने छीन लिया । क्षण भर के क्रोध ने जीवन भर का दुःख पैदा कर दिया। इस दर्दनाक घटना का जब पति ने देखा तो वह क्रोध से भर गया, वह पत्नी को माफ न कर सका और उसने एक धारदार हथियार से गर्दन काट कर पत्नी की निर्मम हत्या कर दी। क्रोध में करुणा नहीं होती। क्रोध अन्धा होता है। जब आता है तो आँखें बन्द हो जाती हैं। मुख, हाथ, पाँव खुल जाते हैं और महाअनर्थ हो जाता है। सूचना पाकर पुलिस आ गई और हथकड़ी डालकर ले गई, केस चला, मजिस्ट्रेट ने हत्या के जुल्म में उसे आजीवन कारावास की सजा सुना दी। क्रोध क कारण सैकड़ों घर परिवार बरबाद होते देखे जाते हैं। क्रोधी व्यक्ति अपने प्रिय हितैषी को भी भला-बुरा कह देता है और बाद में अपने किये दुष्कृत्य पर पछताता है, अन्त में स्वयं दुःखी हाता है । क्रोध ही जीवों का महावैरी है, यह शत्रु से भी बढ़कर शत्रु है | यह क्रोध धर्म और धर्म बुद्धि का नाश जड़ से कर डालता है। क्रोध आने पर सुमति के साथ-साथ धर्म भी भाग जाता है | आचार्यों ने कहा है - क्रोधो नाशयते धौर्य, क्राधा नाशयते श्रुतम् । क्राधो नाशयते सर्वम्, नास्ति क्रोधो समो रिपुः ।। क्रोध धैर्य को नष्ट कर देता है, क्रोध शास्त्र ज्ञान को नष्ट कर देता है, क्रोध सभी कुछ नष्ट कर देता है, क्रोध के समान कोई शत्रु 44)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy