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________________ रूपवान्, गुणवान् सेठ सुदर्शन रहते थे । एक दिन युवा सेठ सुदर्शन अपने मित्रों के साथ घूमने के लिये निकलते हैं । वहाँ वे एक मनोरमा नामक कन्या को देख उस पर मोहित हो जाते हैं । जब उनके पिता श्रेष्ठी वृषभदास जी को पता चलता है, तो वे सुदर्शन का विवाह मनोरमा के साथ करवा देते हैं। कुछ समय बाद उनके सुकान्त नाम का पुत्र उत्पन्न होता है । सुदर्शन के माता-पिता अपना सारा गृहभार सुदर्शन को सौंपकर दीक्षित हो जाते हैं । सेठ सुदर्शन अपने धार्मिक षटआवश्यकों का अच्छी तरह पालन करते थे और अष्टमी एवं चतुर्दशी को गृहत्याग कर प्रोषधोपवास करते थे । रात्रि में मुनि सदृश सर्वपरिग्रहों का त्याग कर वे एकान्त स्थान श्मशान में कायोत्सर्ग अवस्था में आत्मध्यान किया करते थे । वे सम्यग्दर्शन में दृढ़ थे । I एक बार उनके मित्र कपिल की स्त्री कपिला सेठ सुदर्शन पर मोहित हो जाती है । इसका पति जब बाहर गया हुआ था, तब वह मौका देखकर छल सुदर्शन सेठ को अपने घर बुला लेती है और अपना प्रयोजन उसे बता देती है । सेठ सुदर्शन कहता है कि मैं नपुंसक हूँ, इस प्रकार कहकर वह अपने शील की रक्षा कर लेता है । बाद में रानी भी इसी प्रकार मोहित होकर सेठ को छल से अपने महल में बुलवा लेती है । पर रानी के अनेकों प्रयास करने पर भी सेठ सुदर्शन अपने ब्रह्मचर्य अणुव्रत से च्युत नहीं होते। तब रानी सेठ पर झूठा दोष लगाती है। राजा सुदर्शन सेठ को फाँसी की सजा सुना देता है । पर सेठ सुदर्शन के ब्रह्मचर्य की दृढ़ता से सूली भी सिंहासन बन जाती है। सेठ सुदर्शन मुनि दीक्षा धारण कर लेते हैं । एक बार सुदर्शन मुनि महाराज पटना नगर के उद्यान में आहार 469
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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