SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 436
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ क्यों हो? हम सब सम्हाल लेंगे । बुढ़िया ने कहा अभी 500-600 भैंसें हैं उनका प्रबंध कौन करेगा? सरदार ने सब कुछ सम्हाल लेने का वादा किया । सेठानी ने फिर कहा कि अभी 5 लाख का कर्जा भी देना है तो पंचायत के सरदार ने कहा कि क्या अब हम ही सबकी हाँ करें ? और लोग भी बोलें। तो, भाई! ऐसा है सुख में साथ देने को सभी तैयार हैं, पर दुःख में कोई भी साथ नहीं देना चाहता । अतः दूसरों से मोह करना छोड़ दो। यह मोह ही हमें अनादि काल से संसार में रुलाता आ रहा है। जिनको मोह है, जिनको इच्छायें हैं, उनका कभी सुख नहीं हो सकता । यदि वास्तव हो तो इन इच्छाओं को करना छोड़ दो । सुखी होना चाहते हम सोचते हैं बस, हमारी यह इच्छा पूरी हो जाये तो मुझे शान्ति मिलेगी, पर ध्यान रखना, इस इच्छा का पेट इतना बड़ा है जिसे आज तक कोई भी नहीं भर सका । एक बार की बात है कि एक मुनिराज जंगल में बैठे ध्यान लगा रहे थे । एक सेठ के लड़के की शादी थी । उस सेठ ने ज्यौनार की थी । सेठ ने जंगल में जाकर मुनिराज से कहा कि महाराज आप भी भोजन कर लीजिये । मुनिराज ने मना कर दिया, सेठ ने विशेष आग्रह किया तो मुनिराज ने सामने से आती हुई एक छोटी-सी लड़की की ओर इशारा किया इसे ले जाओ । लड़की कहने लगी कि मेरा नाम इच्छा है, यदि तुम मेरा पेट भर सको तो मुझे अपने साथ ले जाना, वरना मत ले जाना। सेठ कहने लगा कि तुम छोटी-सी लड़की हो तुम क्या खाओगी? मैं तुम्हारा पेट अवश्य भर दूँगा । इच्छा रूपी लड़की बोली - यदि तुम मुझे पेट भर भोजन न करा सके तो मैं अन्त में तुम्हें खा जाऊँगी । सेठ ने कहा- ठीक है । ऐसा वादा करके सेठ ने उसे घर लाकर भोजन करने बैठा दिया । इच्छा नाम की लड़की ने 421
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy