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________________ जब इतने विरक्त व साधु पुरुष भी सुन्दर रूप आदि देखकर विचलित हो जाते हैं, तो साधारण मनुष्य तो टी.वी. आदि पर ऐसे दृश्य देखकर तुरन्त प्रभावित हो जाते हैं, और अपने मन को खराब कर लेते हैं । पाँचवी कर्ण इन्द्रिय सुरीले गानं सुनना चाहती है । कानों को तृप्त करने के लिये हिरण सुरीले बीनों तथा गायन को सुनने के लिये खड़ा हो जाता है और शिकारी के हाथों पकड़ा जाता है । सर्प बीन की धुन सुनने के लिये खड़ा हो जाता है और सपेरे द्वारा पकड़ लिया जाता है । लखनऊ के अन्तिम नवाब वाजिद अलीशाह को यह बता दिया गया कि आपको गिरफ्तार करने के लिये अंग्रेजों की सेना आ रही है, परन्तु नवाब गाने सुनने में ऐसा मस्त था कि गिरतारी से बचने के लिये उसने कुछ भी प्रयास नहीं किया । अंग्रेज जब उसको पकड़कर ले जाने लगे तब भी, वाजिद अली ने कहा कि ठहरो, एक गाना और सुन लेने दो । इस तरह कर्ण इन्द्रिय के लोलुपी मनुष्य अपना सर्वस्व खो देते हैं । जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों के दास बने रहते हैं, वे अपना कोई भी कार्य ठीक नियमानुसार नहीं कर पाते। उनकी आत्म-शक्ति कुण्ठित हो जाती है । वे बलवान होकर भी बलहीन / दीन बने रहते हैं । घोड़े को यदि लगाम न लगी हो, तो घोड़ा बेकाबू होकर अपने सवार को किसी भी गड्ढे में गिरा देता है । इसी तरह इन्द्रियों पर यदि आत्मा मन के द्वारा अंकुश न लगावे तो इन्द्रियाँ भी आत्मा को दुर्गति में डाल देती हैं । 374
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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