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________________ ज्यादा चमक देता है, परन्तु उसकी वह चमक कुछ ही दिन रहती है। गुड़िया दखने में कितनी सुन्दर दिखाई दती हैं, परन्तु उसके भीतर चिथड़े भरे हुये होते हैं। भीतर की बदसूरती छिपाने के लिये ही ऊपर चमक दमक की पालिश की जाती है | “मात पिता रज वीरज सों उपजी सब सात कुधात भरी है ।'' मनुष्य का यह शरीर जिस पर कि मुग्ध होकर मनुष्य अपने आपको भूल गया है, महा अशुचि मलिन पदार्थों स उत्पन्न हुआ है। फिर भी मनुष्य इस नश्वर अशुचि शरीर को सुन्दर बनाना चाहता है | बनावटी सौन्दर्य बनाने के लिये स्त्री पुरुष मुख पर पाउडर लगाते हैं | बालों की सफेदी छिपाने के लिये खिजाब आदि लगाकर काला कर लेत हैं। तेल, वैसलीन आदि लगाकर मुख पर कान्ति लान का यत्न करते हैं | ओठों पर लाल रंग लगा लेते हैं। इसी तरह बहुत से मनुष्य अपना बनावटी ठाठ दिखाने के लिए किराये पर सुन्दर कपड़ लेकर विवाह आदि में सम्मिलित होते हैं | एसा ही एक शौकीन मनुष्य किसी बारात में सम्मिलित होना चाहता था, परन्तु उसके पास उसका शौक पूरा करने के लिय अच्छे कपड़े नहीं थे। वह एक धोबी के यहाँ गया। धोबी को कपड़ों के किराये का प्रलाभन देकर उसस अच्छ सुन्दर कपड़े ले कर उन्हें पहनकर बड़ी अकड़ के साथ बारात में सम्मिलित हो गया। जो लोग उससे अपरिचित थे वे उसे अच्छा धनाढ्य समझ रहे थे । संयोग से उसी बारात में वह मनुष्य भी आया हुआ था जिसके कपड़े वह धोबी से लेकर पहन आया था, उसने जब अपने कपड़े उस बनावटी रईस के शरीर पर देखे, तो उसे पहले कुछ सन्देह हुआ। फिर उसने जब उन वस्त्रों पर अपने चिन्ह देख कर निश्चय कर लिया कि ये वस्त्र मेरे ही हैं, तब उसने सारे बारातियों के सामने उसे लज्जित किया और बारात में ही अपने समस्त वस्त्र उतरवा लिए | उस बनावटी (360
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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