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________________ ता वह संयम उसके लिये कार्यकारी नहीं है । हमें नियम-संयम का पालन सम्यक् प्रकार से करना चाहिये । कई लोग सोला करते हैं, लेकिन सोला के साथ क्रोध भी करते हैं । सोला तो शान्ति के लिये करना चाहिये था। आज कोई सोलाधारी घर में पैदा हो जाये तो कहते हैं भगवन् हमने कौन-सा पाप किया था? जो सोलाधारी घर प्राप्त हुआ । टेपरिकार्डर में तो 90 मिनट से लंबी कैसेट नहीं होती, लेकिन सोलाधारी की कैसेट तो 24 घंटे चलती है । यह अज्ञान पूर्वक की गई क्रिया का परिणाम है। यदि सोला बिगड़ जाये, कोई आपके वस्त्र छू ले, तो क्रोध करने की आवश्यकता नहीं है । सोला का अर्थ है- कषाय का शमन, सोला का अर्थ है - निराकुलता, सोला का अर्थ है संयम । संयम का अर्थ है - शान्ति । ― पहले अच्छे प्रकार से समझ लो हम कौन हैं? कहाँ से आये हैं? कहाँ जाना है? एक अम्मा स्टेशन मास्टर से कहती हैं, घासीराम का टिकिट दे दो । स्टेशन मास्टर कहता है कि घासीराम नाम की तो कोई स्टेशन ही नहीं है । घासीराम कहाँ है? तो अम्मा कहती हैं, वो टेबिल पर बैठा है, उसको बीमारी है, वह यहाँ नहीं आ सकता । स्टेशन मास्टर कहता है कि टिकिट किसी नाम से नहीं मिलता है । टिकिट पर तो स्टेशन का नाम लिखा रहता है। पहले यह तो बताओ कि तुम्हें जाना कहाँ है? अभी तो हमें यह पता ही नहीं है । चलने को तैयार हैं पर यह तो बताओ कि जाना कहाँ है? तुम कौन हो ? कहाँ से आये हो? कहाँ जाना है? यह ठिकाना तो पहले ढूंढ लो? पहले मन बनाओ कि संसार में कहीं भी सुख नहीं हैं, मुझे इस संसार को छोड़ना है। जो संसार के वास्तविक स्वरूप को समझ लेता है, जिसे ज्ञान हो जाता है कि यह जड़ सम्पदा पाप का कारण 345
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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