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________________ बशीकरण इक मंत्र है, तजिये वचन कठोर ।। प्रिय वाणी वशीकरण मंत्र है। वाणी से ही बोलने वाले की पहचान हो जाती है। कहा है कि-सत्कुल में उत्पन्न व्यक्ति की हथेली में कमल नहीं होता और अकुलीन के मस्तक पर शृंग नहीं उगता, किन्तु जब काई वाणी बोलता है तब उसकी जाति और कुल का प्रमाण मिल जाता है। ___ एक राजा को शिकार खेलने का बड़ा शौक था। जब भी उसे राज्य की व्यवस्था से अवकाश मिलता, तो वह अपने साथियों के साथ शिकार खेलने निकल जाता था। एक दिन सुबह-सुबह शिकार खेलने साथियों के साथ वह जंगल में पहुँच गया। परन्तु उस दिन दोपहर तक एक भी शिकार हाथ नहीं लगा | राजा शिकार की खोज में अपने साथियों के साथ जंगल में आग बढ़ रहा था। सुबह स शाम होने, लगी पर शिकार हाथ नहीं लगा। राजा को धूप और थकान के कारण बड़ी प्यास लगी | उसने दो सिपाहियों को आदेश दिया कि कहीं स पानी की खोज की जाय | दोनों सिपाही पानी की खोच करते-करते एक झापड़ी पर पहुँचे, जहाँ एक अंधा व्यक्ति बैठा हुआ था। दोनों सिपाहियों ने उस अंधे व्यक्ति से आदेश भरे स्वर में कहा-ए अंध! उठ और हम पानी दे | अंधा व्यक्ति मौजी प्रकृति का था। यह सुनकर वह क्रुद्ध होकर बोला-चल-चल सिपाही के बच्चे! मैं तेरे जैसे सिपाहियों को पानी नहीं देता। यह सुनकर दोनों सिपाही बड़े हैरान और परेशान हुए। हैरानी इस बात की हुई कि अंधे को कैसे ज्ञात हुआ कि हम सिपाही हैं और (335)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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