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________________ रहे हो । उसने कहा महाराज क्या बताऊँ? आज एक लाख का नुकसान हो गया । पत्नी ने बीच में ही कहा महाराज, इनकी तो आदत ही है । ये यह नहीं बोलते कि हमें दो लाख का फायदा हुआ है। महाराज ने पूछा- क्या मतलब? पत्नी ने बात स्पष्ट करते हुये कहा - महाराज ! कल इन्होंने पन्द्रह सौ रुपये खरीद का चना उन्नीस सौ रुपये में बेचा, उसमें कल दो लाख का फायदा हुआ, पर आज चने का भाव इक्कीस सौ रुपये हो गया । इसलिये इसे वे अपना नुकसान मानकर कह रहे हैं कि एक लाख का नुकसान हो गया । लोभी व्यक्ति कभी भी संतुष्ट नहीं होता । लोभ कारण व्यक्ति दिन-रात धन कमाने में लगा रहता है। उसके पास न घर के लिये समय है और न धर्म के लिये । पर ध्यान रखना जो धन के पीछे, धर्म को छोड़ देते हैं, लक्ष्मी भी उनका साथ छोड़ देती है, क्योंकि लक्ष्मी तो पुण्य की दासी है। जहाँ धर्म होता है, पुण्य होता है, वहीं लक्ष्मी भी रहती है । एक समय की बात है । विष्णु और लक्ष्मी में विवाद छिड़ जाता है कि कौन अधिक जनप्रिय है? बस इस बात को परखने के लिये दोनों मनुष्य-लोक में आ जाते हैं । विष्णु एक सन्यासी का वेष धारण करते हैं और एक सेठ के सुन्दर भवन में बने संत-निवास में रुक जाते हैं । प्रतिदिन प्रवचन आदि होने लगते हैं, जनता आने लगती है और भीड़ बढ़ने लगती है । यह देखकर सेठ-सेठानी और उनका पुत्र एवं पुत्रवधू सब अपने भाग्य को सराहने लगते हैं । स्थिति यह बनती है कि सन्त त-निवास छोटा पड़ने लगता है । धर्म प्रेमी जन प्रतिदिन बढ़ते 263
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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