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________________ पति ने कहा-भगवान मेरी तन्खा ही नहीं बढ़ाता। मैं क्या करूँ? पत्नी बोली-मैं कुछ भी सुनना नहीं चाहती | कुछ भी करके आप अपनी कमाई बढ़ाइये । और एक दिन आफिस से आते ही पति ने पत्नी का खुशखबरी सुनाई-सुनती हो, तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई। पत्नी ने प्रसन्न होकर पूछा-क्या हम पाँच-सौ रुपया किराया वाले घर में जा रहे हैं? पति ने कहा-नहीं, अभी हम जिस घर में रहते हैं उस घर का किराया ही मकान-मालिक ने बढ़ाकर पाँच सौ रुपया कर दिया है। बस अब तो खुश हो ना? बस, यही स्थिति आज क ज्यादातर लोगों की है। हम केवल सुख नहीं चाहिये, आसपास के लोगों की अपेक्षा अधिक सुख चाहिये | हम अपने आपको दूसरों से श्रेष्ठ साबित करने के चक्कर में सदा असंतुष्ट रहते हैं। पर ध्यान रखना संतोषी सदा सुखी और असंतोषी सदा दुःखी रहता है | संतुष्ट व्यक्ति का हृदय अत्यन्त निर्मल रहता है। वह हर काम बड़े उत्साह और प्रसन्नता से करता है। ___ एक व्यक्ति के पास उसका मित्र जब कभी भी आता था, तो गहरी आध्यात्मिक चर्चा किया करता था। उस आदमी के व्यवहार से मालूम हाता था कि वह बड़ा आदमी है, और बड़ा आदमी होने के साथ-साथ बहुत सुखी भी है। एक दिन वह उसस मिलने के लिये उसके घर पर गया। जब वह उसके घर पहुँचा, तो देखकर दंग रह गया । बहुत छोटा-सा घर था, तीन कमर का मकान था | एक कमरे में उसन अपनी बैठक बना रखी थी, दूसर कमरे में उसका शयन कक्ष था, और तीसरे छोटे कमरे में उसकी किचिन थी। उसने देखा (259)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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