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________________ सुशील कुमार सज-धज कर आँखों पर चश्मा लगाकर विवाह मण्डप में आ गया | सुहागिन स्त्रियाँ विवाह के मंगल गीत गा रहीं थीं, जोर-जोर से बाज बज रहे थे। बड़े ठाट-बाट से सुशील कुमार की शादी सुरेश कुमारी के साथ हो गयी। सांसारिक सभी रस्में पूरी हो जाने के बाद परिवार वाले बहुत खुश हुए। सभी ने सोचा सुरेश कुमारी का भार उतर गया। इधर सशील कमार का पिता भी बड़ा खश हआ। हृदय में हर्ष उछलने लगा और जोर से बोल पड़ा-'गढ़ जीत्या रे बेटा काणिया ।' लड़की के पिता से भी रहा नहीं गया, वह भी जोर से बोला-“खबर पड़ती उठाणियां।" यह सनते ही उसके चेहरे पर उदासी छा गई और आखिर सारी धूर्तता स्पष्ट होते ही दोनों विलाप करन लगे और अपनी-अपनी कुटिलता पर पछताने लगे | दूसरों को धोखा देकर कोई भी सुखी नहीं हो सकता। स्वयं का कुटिलतापूर्ण व्यवहार स्वयं के लिय ही दुःखद सिद्ध होता है, अतः किसी के भी साथ कुटिलतापूर्ण व्यवहार नहीं करना चाहिये । यह माया-कषाय प्रथम में मानव की सच्चाई का घात कर देती है और प्राणियों के परस्पर क विश्वास को नहीं रहने देती है | जो ठग, मायाचारी लोग होते हैं उनका कोई विश्वास नहीं करता है। मायावी लोग सत्य और सरल भाषा नहीं बोलते हैं | उनक मन में क्या वर्त रहा है, वचन में क्या और करने में क्या कर डालेंगे, यह कोई पता नहीं लगा सकता। मायाचारी व्यक्ति स्व व पर दोनों का घात करते हैं | मायाचारी करने वाल दूसरों को ठगते हैं, यह परघात हुआ और मायाचारी करने से विशेष पाप-बंध हो जाना, यह अपने को ठगना हुआ । उसे नरक-तिर्यंच गति में जाकर दुःख भोगना (234
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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