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________________ क्षण भर में नष्ट कर दता है | सरल पुरुष ही धर्म के मार्ग पर चल सकता है। आर्जव गुण कपट करके नहीं, सरल प्रवृत्ति से पाया जा सकता है। मायाचारी करत समय लोग सोचते हैं, मेरी बात कोई नहीं जानता। पर ध्यान रखना हमारी मायाचारी बहुत दिनों तक छिप नहीं सकती, वह एक-न-एक दिन प्रकट हो ही जाती है। एक साधु जंगल में पंचाग्नि तप किया करता था। एक दिन एक सेठ का लडका वहाँ से निकला। उसने उसे पकड़ लिया और मारने लगा। लड़के ने कहा-साधु जी आप मुझे मत मारिये, आपका यह पाप छिपा नहीं रहेगा, एक-न-एक दिन अवश्य प्रकट हा जायेगा। रिमझिम पानी बरस रहा था, सुनसान जंगल में पानी के बबूले उठ रहे थे | साधु ने अभिमान से कहा-क्या ये बबूल कह देंगे कि मैंने तुझे मारा है? लड़का बोला-हाँ ये बबूले कह देंग | साधु न माना | उसने लड़के की हत्या कर उसे एक गड्ढे में गाड़ दिया। सेठ के लड़के की मृत्यु के संबंध में हलचल मच गई | बहुत खोज की, पर पता न चला। अन्त में साधु पर संदेह किया गया। एक खुफिया पुलिस ने साधु की शिष्यता ग्रहण की। वह उसकी सेवा-सुश्रुषा करने लगा और उसका विश्वासपात्र हो गया। आठ माह व्यतीत हो गये और बरसात के रिमझिमाते दिन पुनः लौट आये | एक दिन पानी के बबूले को देखकर साधु खिलखिला उठा। शिष्य ने अनुनय-विनय की कि आपके हँसने का क्या कारण है? साधु ने मान स बताया, मानो उसने कोई महान कार्य किया हो-एक नादान लड़के को जब मैं मारने लगा, तब वह बोला कि साधुजी, पानी का यह बबूला तुम्हारे इस काम को कह देगा | शिष्य तो यही चाहता था | उसने सुनकर छुट्टी ली और पुलिस में सब समाचार कह (229)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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