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________________ है। आप बताइये कि उस आग को बुझाने के लिये कितनी बाल्टी पानी की आवश्यकता है? एक भी बूंद पानी की आवश्यकता नहीं है। आवश्यकता है केवल उस व्यक्ति को झकझोर कर जगाने की। नींद खुलते ही सारी आग स्वयमेव बुझ जायेगी। इसी तरह संसार का जितना भी दुःख है, वह सब अज्ञानता से प्ररित है। सच्चा ज्ञान होते ही संसार का सारा दुःख स्वयमेव नष्ट हो जाता है। लोग कहते हैं कि जा सरल होता है, वह ठगाया जाता है। पर विचार करो कि सरल पुरुष ठगाया जाता है या मायाचारी पुरुष स्वयं ठगाया जाता है? सरल पुरुष क तो मान लो कुछ धन कम हो जायेगा, पर जिसने ठगा, वह तो बडा खोटा कर्म बंध करता है संक्लेश करता है। एक बार चिरोंजाबाई वर्णीजी स बोलीं कि तुम जहाँ-चाहे ठगाये जाते हो, 10 आने सेर अनार मिलते हैं और तुम 12-13 आने सेर खरीदते हो। तो वर्णी जी बोले-माँ ठगाये जाते हैं, दूसरों को ठगते तो नहीं हैं | दूसरों को ठगने में पाप है, स्वयं ठगाये जाने में कोई पाप नहीं है। हम ठगाये गय तो हमम क्रूरता तो नहीं आई, पाप बंध तो नहीं हुआ, भविष्य का मार्ग तो साफ रहा। अगर दूसरों का ठगना चाहें, ता लुटिया डूब जाती है और दूसरे अपने को ठग लें, तो अपने ऊपर कोई पाप नहीं लगता। थोड़ी-सी मायाचारी भी बहुत अनर्थ करने वाली है। अतः चाहे जितनी कठिनाइयाँ हो, परन्तु छल-कपट को मन से निकाल दो। जिसके प्रति भी कपट किया हो, उसको जाकर बता दो मेरा आपसे ऐसा कपट हुआ है। कपट (छल) को कितना ही छिपाओ, पर वह ज्यादा देर तक छिप नहीं सकता और जब प्रकट होता है, तो इससे हमारी प्रामाणिकता, (210
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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