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________________ कर देती है | क्रोधी व्यक्ति न ता स्वयं कुछ विचार सकता है और उस समय न किसी दूसरे का उपदेश उसके लिये कार्यकारी होता है, उसक हृदय की महानशीलता जाती रहती है, किसी की भी तीखी हितकारी बात उसे सहन नहीं होती। यदि साधु भी क्रोध करते हैं तो उनके भी सारे गुण समाप्त हो जाते हैं। भगवान नेमिनाथ से जब ये पूछा कि सुन्दर विशाल द्वारिका नगर इसी तरह हरा-भरा कब तक बना रहेगा? भगवान नेमिनाथ ने उत्तर दिया कि जब तक इसी नगर का निवासी द्वीपायन मुनि शान्त है, तब तक द्वारिका शान्त रहगी। जिस दिन द्वीपायन मुनि की क्रोध-अग्नि प्रज्वलित होगी तब द्वारिका भी उसके क्रोध से अग्निमय होकर भस्म हो जायेगी। शराब पीकर उन्मत्त हुए व्यक्ति द्वीपायन मुनि का क्रोध जागृत करेंगे। यह कार्य 12 वर्ष में हागा | बारह वर्ष में द्वारिका नगर जलकर भस्म हो जायेगा । यथार्थ भविष्यवक्ता भगवान नेमिनाथ क वचन सुनकर द्वारिका के अनेक नर-नारी संसार का वैभव विनश्वर समझकर विरक्त हो गये और अपना आत्म-कल्याण करने के लिये मुनि, आर्यिका आदि की दीक्षा लेकर द्वारिका से बाहर चले गये । द्वीपायन मुनि ने अपने ऊपर से द्वारिका नगर जलाने का कलंक दूर करने के लिये बारह वर्ष तक द्वारिका से दूर रहना कल्याणकारी समझा, अतः वे द्वारिका से बहुत दूर देश-देशान्तरों में विहार कर गये | उधर कृष्ण, बलभद्र ने द्वारिका नगर से सारी शराब निकलवाकर द्वारिका के बाहर कुण्डों में फिकवा दी। इस प्रकार द्वारिका की रक्षा के लिये प्रयत्न किये गये | किन्तु भवितव्यता दुर्निवार है, होनहार घटना होकर रहती है। तदनुसार द्वीपायन मुनि देश-देशान्तरों में विहार करते हुए एक-एक (111)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
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