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________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक (PDF) मुफ्त डाउनलोड करें। देखें www.dwarkadheeshvatu.com भवन में मंदिर का स्थान दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट N नार्थ-ईस्ट में गंगाजी का वास है। इसलिए N नार्थ-ईस्ट भाग भूमिपूजन के लिए होता है। वास्तु नार्थ-वेस्ट उत्तर नार्थ-ईस्ट के अनुसार भवन/भूमि के नार्थ-ईस्ट का स्थान उत्तर - नार्थ-ईस्ट । पूर्व सेवक/बच्चे/छोटे भाई का होता है। परिवार के - 2 मुखिया का स्थान सदैव साउथ-वेस्ट/उच्च स्थान में होता है। इसलिए मंदिर सदैव दक्षिण, पश्चिम, WR पश्चिम ब्रह्मस्थान नार्थ-वेस्ट | ब्रह्मस्थान साउथ-ईस्ट साउथ-वेस्ट, साउथ-ईस्ट व नार्थ-वेस्ट भाग ही बनाएँ। इन स्थानों पर मंदिर होने से घर में भगवान के वास का एहसास होता है और भगवान स्वयं घर साउथ-वेस्ट दक्षिण साउथ-ईस्ट की रक्षा करते हैं। अनेक प्रसिद्ध मंदिरों जैसे पश्चिमसाउथ-वेस्ट दक्षिण FOA2 तिरूपति बालाजी, बाँके बिहारी जी, गोल्डन टेम्पिल, लोटस टेम्पिल इत्यादि में भगवान का W स्थान दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट में है व द्वार पूर्व, उत्तर व नार्थ-ईस्ट में है। यदि मंदिर को बेडरूम में स्थापित करना है तो इसे चित्र में दिखाई गई बेडरूम की दिशाओं में ही करें। मंदिर बनाने के लिए : नं0 1 में दिखाई गई जगह सर्वश्रेष्ठ है। यहाँ संभव न होने पर नं0 2 में दिखाई गई जगह में बना सकते हैं। HD (2) वास्तु के अनुसार भूमि का उपयोग 40 फीट वर्गाकार प्लॉट सिर्फ मंदिर के लिए | | आयताकार प्लॉट सभी सांसारिक कार्यों के लिए जिस प्लॉट की चारो __40 फीट यदि प्लॉट की एक भुजा दूसरी से 10 प्रतिशत या इससे अधिक सामान्य से भुजाएँ समान या 5 बड़ी है तो यह आयताकार प्लॉट होगा। आयताकार प्लॉट का कम प्लॉट प्रतिशत छोटी बड़ी होने | उपयोग सभी सांसारिक कार्यों जैसे मकान, दुकान, आफिस, 10 फीट से यह पूर्णतया वर्गाकार | वर्गाकार |इमारत, फैक्ट्री इत्यादि के लिए कर सकते हैं। प्लॉट होगा। इस प्लॉट ० श्रेष्ठ प्लॉट प्लॉट 10 फीट का प्रयोग निवास, प चौड़ाई x व्यापार या अन्य कार्यों के सर्वश्रेष्ठ प्लॉट लम्बाई लिए उपयुक्त नहीं है। 40 फीट 1x4 40 फीट चौंड़ाई || | यदि प्लॉट की एक भुजा चौंड़ाई x लम्बाई दूसरी से 10 प्रतिशत से । आयताकार लम्बाई 1x3 छोटी है तो इसे भी वर्गाकार प्लॉट 1x2 वर्गाकार प्लॉट ही माना ल प्लॉट जाएगा। 10 फीट 40 फीट 30 फीट 43 फीट 45 फीट 20 फीट - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - प्लॉट में दिशाओं का विभाजन दिशा प्लॉट विदिशा प्लॉट जिस प्लॉट में दिशा मध्य में आती हैं वह दिशा प्लॉट होता है। जिस प्लॉट में दिशा कोने में आती हैं वह विदिशा प्लॉट होता इसका विभाजन 3 बराबर भागों में करने पर यह 9 भागों में है। इसका विभाजन 3 बराबर भागों में करने पर यह 9 भागों में विभाजित हो जाता है जिसके मध्य में ब्रह्मस्थान होता है। विभाजित हो जाता है जिसके मध्य में ब्रह्मस्थान होता है। 45 फीट 45 फीट नार्थ-वेस्ट । उत्तर । नार्थ-ईस्ट उत्तर । नार्थ-ईस्ट । पूर्व 15' 15' 15' | 15' वायव्य ईशान ईस्ट-नार्थ उत्तर 15' ईशान 15 → -27 फीट वेस्ट-साउथ पश्चिम वेस्ट-नार्थ + 27 फीट ब्रह्मस्थान वायव्य 15 ब्रह्मस्थान आग्नेय पश्चिम नार्थ-वेस्ट पामा साउथ-ईस्ट पूर्व नैरूति आग्नेय ईस्ट-साउथ नैरूति | साउथ-वेस्ट। दक्षिण । साउथ-ईस्ट पश्चिम । साउथ-वेस्ट । दक्षिण
SR No.009394
Book TitleVaastu Principles Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnkit Mishra
PublisherAnkit Mishra
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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