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________________ गौमूत्र सेवन की मात्रा गौमूत्र का सेवन कितनी मात्रा में करना चाहिए ? प्रत्येक व्यक्ति को ऋतु, अपनी प्रकृति और अवस्था के अनुसार गौमूत्र का सेवन करना चाहिए। ऋतु : ग्रीष्म ऋतु में अल्प मात्रा में गौमूत्र का सेवन करना चाहिए। ग्रीष्म ऋतु से शीत ऋतु में 5 से 10 गुणा अधिक मात्रा में गौमूत्र का सेवन किया जा सकता है। प्रकृति : वात प्रकृति के व्यक्तियों को सामान्य मात्रा में, कफ प्रकृति के व्यक्तियों को अधिक मात्रा में और पित्त प्रकृति के व्यक्तियों को कम मात्रा में गौमूत्र का सेवन करना चाहिए। अवस्था : एक वर्ष तक के बच्चों को ग्रीष्म ऋतु में महीने 3 बूंद और तेज सर्दियों में महीने 15 बूंद तक दिया जा सकता है। उदाहरण के लिये 4 महीने के बच्चों को गर्मियों में 4 ग 3 त्र 12 बूंद और सर्दियों में 4 ग 15 व 60 बूंद तक दिया जा सकता है। वैसे दूध पीते बच्चों की माताओं को गौमूत्र देने से अधिक लाभ होता है। उनकी मात्रा वयस्क के अनुसार होनी चाहिए। (1 छोटा चम्मच त्र 5 मि. ली. त्र 125 . बूंद) . __ . यहाँ सामान्य मात्रा का वर्णन किया जा रहा है जिसे अपनी प्रकृति और ऋतु के अनुसार कम अधिक मात्रा में लिया जा सकता है। 1 वर्ष से 2 वर्ष के बच्चों को 2 चम्मच सुबह-शाम खाली पेट या भोजन से : एक घंटे पूर्व . 2 वर्ष से 5 वर्ष के बच्चों को . 3 चम्मच 5 वर्ष से 10 वष के बच्चों को 4 " 10 वर्ष से बड़ों को ... 5 " . * पित्त प्रधान (गर्म) प्रकृति के व्यक्तियों को खाली पेट गौमूत्र का सेवन नहीं करना चाहिए। * गोमूत्र सेवन प्रारंभ के 5-6 दिन तक दो से अधिक बार भी शौच के लिए जाना पड़ सकता है, जो बहुत ही लाभदायक है, फिर यह सामान्य हो जायेगा। यदि दस्त अधिक हों तो मात्रा आधी कर दें बाद में पूर्ण मात्रा ले सकते हैं। * गर्भवती महिलाओं को चिकित्सक की सलाह के बिना गौमूत्र नहीं लेना चाहिए। 000 . . गौमाता पंचगव्य चिकित्सा . : 95
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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