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________________ -लं सं o oooo पीपल. 100 ग्राम 27. गौमय नवग्रह धूप घटक : ताजा गोबर . 2 किलो 200 ग्राम अक्षत (अखंड चावल) 150 ग्राम मैदा लकड़ी आवश्यकतानुसार आक 100 ग्राम पलाश 100 ग्राम खैर 100 ग्राम अपामार्ग 100 ग्राम 100 ग्राम गूलर 100 ग्राम शमी 100 ग्राम 12. दूर्वा 100 ग्राम : 13. दर्भ 14. लकड़ी का बुरादा 2 किलो . . निर्माण विधि : सबसे पहले घटक 5 से 13 में घी को अच्छी तरह मिलायें। अब इसमें लकड़ी का बुरादा और ताजे गोबर को डालकर अच्छी तरह मिला लें। इसमें मैदा लकड़ी मिलाकर उंगली के आकर की नली (प्लास्टीक, पीतल या एल्युमिनियम) में डालें और इसी आकर की लकड़ी से धक्का देकर निकालें। बत्ती को धूप में सुखा लें। गुणधर्म : गोबर में लक्ष्मी का वास है। अत: प्रतिदिन गोबर को जलाने से दारिद्रय का नाश होता है। आक-सूर्य, पलाश-चंद्र, खैर-मंगल, अपामार्ग-बुध, पीपल-गुरू, गुलर-शुक्र, शमी-शनी, दूर्वा-राहू, और दर्भ-केतू ग्रहों की समिधा हैं। इनका धूप करने से नवग्रहों की शांति होती है। अत: प्रतिदिन गौमय नवग्रह समिधा को सुबह-शाम . प्रज्ज्वलित करना चाहिए। . इसके धुएँ से मच्छर व कीट भाग जाते है। इसकी भस्म घाव और फोड़ें-फुसीं के ऊपर बहुत ही अच्छी औषधि है। कटी हुई त्वचा पर इस भस्म को लगाने से खून रूखता है. और घाव जल्दी भरता है। इसकी भस्म को शहद के साथ चाटने से खाँसी में आराम मिलता है। इस अध्याय में जगह-जगह निर्माण विधि में क्वाथ, शोधन, कल्क, स्वरस शब्दों का प्रयोग किया गया है। इनका अर्थ नीचे स्पष्ट किया गया है। क्वाथ - प्रकरण (आयुर्वेद सारसंग्रह) .. 1 तोला क्वाथ की औषधि को जौकूट (मोटा चूर्ण) करके मिट्टी के पात्र -:-. गौमाता पंचगव्य चिकित्सा ::.88 ...:.:. : :
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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