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________________ फिर लुगदी से चार गुणा घी और 16 गुणा जल मिलाकर मंद आँच पर पकाकर घृत . सिद्ध करें। घृत पक जाने पर छान लें, फिर मोम और नीले थोथे का फूला 1-1 तोला मिलाकर मलहम जैसा घृत बना लें। गुणधर्म : पुराना नाड़ी व्रण (नासूर), गंभीर व्रण या फोड़ा और सभी घावों में उपयुक्त। मात्रा : आवश्यकतानुसार केवल बाह्य प्रयोग के लिए . 20. गौमय वातनाशक तेल घटक: 1. सरसों का तेल 1 लीटर 2. गौमूत्र 500 मिली. भा. प्र. नि मूत्रवर्गः 3. आंबा हल्दी 50 ग्राम द्र. गु. वि. द्वितिय अध्याय (ख) 4. लहसुन / (सोन) 50 ग्राम द्र.गु. वि. प्रथम अध्याय 26 5. निर्गुडी पत्र 50 ग्राम प्रथम अध्याय 24 6. कपूर 10 ग्राम द्र. गु. वि. तृतिय अध्याय 76 7. अजवायन सत 10 ग्राम द्र. गुं. वि पंचम अध्याय 203 . निर्माण विधि : सरसों का तेल कढ़ाई में डालकर उसे मंदाग्नि पर रख सभी घटक मिला दें, जब केवल तेल शेष रहे तो ठंडा होने पर बोतल में भर लें। गुणधर्म : संधिवात, स्नायुवात, मोच, सूजन पर मालिश हेतु . an 21. गोपाल नस्य घटक : 1. गौवत्स गोबर 100 ग्राम (गाय के तत्काल पैदा हुए बछड़े-बछिया का गोबर जो बछड़े के गर्भ में रहते समय -- ही बना हो) 2. आक का दूध 100 ग्राम 3. काली मिर्च 50 ग्राम निर्माण विधि : ऊपरोक्त गोबर को खरल में डालकर खूब खरल करें। फिर आक का दूध डालकर खूब खरल करें। सूख जाने पर दूध डालते रहें और लगातार खरल करते रहें। बाद में अच्छी तरह सुखा लें। इस सूखे गोबर से आधा भाग काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर फिर खूब रगड़ें। तत्पश्चात कपड़े से छानकर शीशी में भरकर रखें। गुणधर्म : मिर्गी (Epilepsy), दिमाग में कीड़े (कृमि), नाक का पीनस, हिस्टीरिया, बेहोशी, सायनस, सिर दर्द आदि में एक नली में इस नस्य को रखकर दोनों सुरों में फूंके। गौमाता पंचगव्य चिकित्सा .. :- 84
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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